Dalit family’s land was grabbed: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में दलितों पर अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर दिन अखबार के किसी न किसी कोने में दलित उत्पीड़न से जुड़ी खबरें छपती रहती हैं। दलित उत्पीड़न का ऐसा ही एक मामला यूपी से सामने आया है। जहाँ एक दलित दंपति की सिर्फ़ इसलिए बेरहमी से पिटाई की गई क्योंकि उनका कसूर सिर्फ़ इतना था कि उन्होंने अपनी ज़मीन पर हो रहे अवैध कब्जे के खिलाफ आवाज़ उठाई थी। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारें में विस्तार से बताते हैं।
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मारपीट में हुआ महिला की गर्भपात
हाल ही में उत्तर प्रदेश से दलित उत्पीड़न की एक चौकाने वाली खबर सामने आई है जहां एक दलित महिला की जमीन पर दबंगों ने केवल इसलिए कब्जा कर लिया क्योंकि वो खुद कमाने के लिए शहर चली गई थी। गोंडा (Gonda) के नवाबगंज थाना (Nawabganj Police Station) क्षेत्र के तुरकौली गांव (Turkauli Village) का है। जहां मनीषा नाम की दलित महिला और उसके पति के साथ बुरी तरह मारपीट की गई। जिनका कसूर केवल इतना था कि उन्होंने अपने हक की जमीन को हथियाने वालों के खिलाफ आवाज उठाई थी। दरअसल मनीषा के ससुर को साल 1995 में सरकार की तरफ से जमीन का एक टुकड़ा आवंटित किया गया था।
जहां वो कच्चा मकान बना कर रह रहे थे लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वो लोग शहर चले गए थे लेकिन जब जून महीने में वो लौटी तो उसने देखा कि राजमान सिंह ने उसकी जमीन पर कब्जा कर लिया है। उसकी कच्चा घर पर तोड़ दिया गया। इतना ही जब मनीषा ने इसका विरोध किया तो उसे फर्जी कागजात दिखा कर ये कहा गया कि उसके ससुर ने वो जमीन राजमान सिंह को बेच दी थी। इतना ही नहीं दोनों के साथ मारपीट को गई जिसमें मनीषा का 3 महीने का गर्भपात हो गया।
आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश
जब वो नवाबगंज थाने में शिकायत दर्ज कराने पहुंचे तो उन लोगों ने शिकायत लिखने से इनकार कर दिया जिसके बाद थक हार कर मनीषा को कोर्ट में अर्जी देनी पड़ी। जिसके बाद कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश जारी किए। थाना अध्यक्ष अभय सिंह के मुताबित राजमान सिंह, उनकी पत्नी तारा देवी, अमर बहादुर, डीएम सिंह, राजू उर्फ वीर बहादुर, उत्कर्ष सिंह, स्मिता सिंह, ब्यूटी सिंह, ललिता सिंह और शिखा सिंह समेत 16 लोगों के नाम दर्ज हुए है। पुलिस ने इसकी जांच शुरू कर दी है।
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