Rampur news: हाल ही में, उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के शाहबाद इलाके के भुडासी गांव में एक दुखद घटना सामने आई है। यहां एक दलित समुदाय की बारात उस समय हिंसा का शिकार हो गई जब उसमें बाबा साहब अंबेडकर और जाटव समुदाय से जुड़े गाने बजाए जा रहे थे। इस घटना से न केवल गांव में तनाव पैदा हो गया है बल्कि दलित समुदाय के भीतर सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द को लेकर गहरी चिंताएं भी पैदा हो गई हैं। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में बताते है।
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बिना खाना खाए लौटे वापस बाराती
बीते दिन उत्तर प्रदेश के रामपुर के शाहबाद के भुड़ासी गांव से चौकाने वाली खबर सामने आई जहाँ दबंगों ने दलितों की बारात आचानक से हमला कर दिया। खबरों के मुताबिक यह घटना तब हुई जब बारात में बाबा साहब अंबेडकर और जाटव समाज के गीत बजाए जा रहे थे। दरअसल, आरोप है कि लोधी समाज के गुस्साए लोगों ने पहले पथराव किया, फिर हथियारों और लाठी-डंडों से बारातियों को खदेड़ दिया। इसके बाद पंडाल में घुसकर हंगामा किया और डेढ़ लाख रुपये का खाना बर्बाद कर दिया। इससे बारातियों में दहशत फैल गई और बाराती बिना खाना खाए ही लौट गए।
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दलितों की बारात पर हमले
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जाटव समाज के लोगों ने बताया कि जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उन्हें जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया गया। वही दलित समाज के लोगों का कहना है कि गांव में उनके कुछ ही परिवार हैं और वे लंबे समय से दबाव में रह रहे हैं। पीड़ितों का कहना है कि पिछले एक सप्ताह में दलितों की बारात पर हमले की यह तीसरी या चौथी घटना है। इससे पहले 4 मई को गवांड की बारात पर हमला हुआ था और 7 मई को अतर सिंह की बेटियों की बारात पर हमला हुआ था, जिसमें बाराती घायल हो गए थे। इसके अलवा दलित समुदाय के बुजुर्ग बालक राम ने कहा कि जिस तरह से जाटव समुदाय की बारात को निशाना बनाया जा रहा है, उससे उनकी बेटियों की शादी होना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि बदसलूकी के डर से बारात उनके गांव में नहीं आएगी।
ग्राम प्रधान समेत आठ लोगों पर केस दर्ज
इस मामले में आरोपी ग्राम प्रधान समेत आठ लोगों पर केस दर्ज, एक गिरफ्तार शाहाबाद कोतवाल पंकज पंत ने बताया कि पीड़ित पक्ष की तहरीर के आधार पर ग्राम प्रधान राकेश, विकास, नेमपाल, कमल, अनिल, अरविंद, मासे और राकेश के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इनमें से एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। रविवार सुबह गुस्साए ग्रामीणों ने थाने पहुंचकर पुलिस पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाते हुए घेराव कर लिया। इस दौरान भीड़ को रोकने को लेकर एक दरोगा से नोकझोंक भी हुई। बाद में वरिष्ठ अधिकारियों ने स्थिति को संभाला।
आपको बता दें, क्षेत्र में दलित बारात पर हमले की यह पहली घटना नहीं है। 30 अप्रैल को रुस्तमपुर गांव में भी इसी तरह का विवाद हुआ था, जब कुछ लोगों ने अंबेडकर गीत बजाने पर आपत्ति जताई थी और बाद में घर लौट रहे दो बारातियों की पिटाई कर दी गई थी, जिसमें पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया था।