Ambedkar Nagar News: दलित के साथ मारपीट मामले में कोर्ट की कार्रवाई, अब जेल की चक्की पिसेगा!

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Ambedkar Nagar News: हाल ही में उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर के विशेष न्यायाधीश रामविलास सिंह ने दलित अजय पर हमला करने के जुर्म में मासूक अली को दो साल कैद और 6,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। घटना सात साल पहले की है। अजय को जबरन बाल कटवाने पर मजबूर किया गया था। तो चलिए आपको इस लेख में पूरेमामले के बारे में बाते है।

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जानें क्या है पूरा मामला?

उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर से एक खबर आई है जहां विशेष न्यायाधीश रामविलास सिंह ने अजय नाम के दलित व्यक्ति पर हमला करने के आरोप में मासूक अली को दो साल कैद और 6,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। दरअसल, साल 2018 में एक घटना हुई थी जिसमें गौर सुगौती निवासी बुद्धिराम के बेटे को बाल न काटने पर बेरहमी से पीटा गया था, जिसमें अजय के सिर में गंभीर चोटें आईं और वह बेहोश हो गया जिसके बाद उसे स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

वही लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद अब इस मुकदमे के दौरान सुदीप मिश्रा ने वादी व अन्य गवाहों का परीक्षण करते हुए कठोर सजा की मांग की, जबकि बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने अपने मुवक्किल के समर्थन में दलीलें दीं। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने दलित पर हमला करने के दोषी मासूक अली को दो वर्ष कारावास व दो हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। इसके अलवा न्यायाधीश ने अन्य धाराओं में भी आरोपी को अलग-अलग सजा से दंडित किया और चार हजार रुपये का अर्थदंड लगाया।

कारावास और मौद्रिक दंड

आपको बता दें, इस तरह की सज़ा ऐसे अपराधों को संबोधित करने के लिए मौजूद कानूनी ढांचे के अनुरूप है, जिसमें अक्सर कारावास और मौद्रिक दंड दोनों शामिल होते हैं। सज़ा की गंभीरता हमले की प्रकृति और लागू होने वाले किसी भी अतिरिक्त आरोप पर निर्भर हो सकती है, जैसे कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) Scheduled Castes and Scheduled Tribes (Prevention of Atrocities) अधिनियम, 1989 के तहत या भारतीय न्याय संहिता की प्रासंगिक धाराएँ जो हमले और चोट पहुँचाने से संबंधित हैं।

इसके अलवा कारावास का अर्थ है किसी व्यक्ति को उसकी स्वतंत्रता से वंचित करना और उसे जेल या अन्य हिरासत केंद्र में रखना। यह आपराधिक न्याय प्रणाली में सजा के सबसे आम प्रकारों में से एक है। मौद्रिक दंड का अर्थ है न्यायालय द्वारा अपराधी पर लगाया गया जुर्माना। यह अपराध की गंभीरता और अपराधी की आर्थिक स्थिति के आधार पर अलग-अलग हो सकता है।

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