BNS Section 145 in Hindi: भारतीय न्याय संहिता (BNS) धारा 145 “दासों के अभ्यस्त व्यापार” से संबंधित है। यह मानव तस्करी और गुलामी से संबंधित गंभीर अपराधों पर केंद्रित है। तो चलिए जानते हैं ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।
धारा 145 क्या कहती है? BNS Section 145 in Hindi
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 के तहत धारा 145 भारतीय न्यायिक संहिता (बीएनएस) की धारा 145 दास व्यापार से संबंधित है। यह धारा दासों के आयात, निर्यात, खरीद, बिक्री या तस्करी के कृत्य को अपराध मानती है और इसके लिए कड़ी सज़ा का प्रावधान करती है। जो कोई भी आदतन दासों का आयात, निर्यात, हस्तांतरण, खरीद, बिक्री, तस्करी या सौदा करता है, उसे आजीवन कारावास या दस वर्ष से अधिक अवधि के कारावास से दंडित किया जाएगा और साथ ही वह जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
बीएनएस धारा 145 की मुख्य बातें
- “आदतन व्यवहार” पर जोर: इस धारा के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात “आदतन” शब्द है। यह उन लोगों पर लागू होता है जो नियमित आधार पर या आदत के तौर पर गुलामी से संबंधित कार्य करते हैं, न कि किसी एक घटना पर।
- इसमें किसी भी तरह से गुलामों का आयात, निर्यात, हस्तांतरण, खरीद, बिक्री, तस्करी या सौदा करना शामिल है। इससे पता चलता है कि गुलामी से संबंधित कई तरह की गतिविधियों को इसके दायरे में लाया गया है।
- यह एक संज्ञेय अपराध है, जिसका मतलब है कि पुलिस बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार कर सकती है।
- गैर-जमानती – यह एक गैर-जमानती अपराध है, जिसका मतलब है कि जमानत मिलना आसान नहीं होगा और यह अदालत के विवेक पर निर्भर करेगा।
- सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय – इस गंभीर अपराध की सुनवाई सत्र न्यायालय द्वारा की जाती है। इसके अलवा मानव तस्करी के खिलाफ एक मजबूत प्रावधान: यह धारा मानव तस्करी, खासकर गुलामी के उद्देश्य से की जाने वाली तस्करी के खिलाफ एक मजबूत कानूनी हथियार है। यह मानव अधिकारों की सुरक्षा और गरिमा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
- आपको बता दें, यह धारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की पुरानी धारा 371 (दासों की आदतन तस्करी) के समान है, जिसे भारतीय न्यायिक संहिता में बदल दिया गया है।
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बीएनएस धारा 145 उदाहरण
बीएनएस (BNS) धारा 144 उदाहरण कुछ इस तरह से है कि…उदाहरण 1– मान लीजिए कि कोई व्यक्ति ‘ए’ नियमित रूप से अफ्रीका के किसी गरीब और पिछड़े क्षेत्र से बच्चों और युवाओं को बहला-फुसलाकर या उनका अपहरण करके भारत लाता है। ‘ए’ इन बच्चों को भारत लाता है और उन्हें विभिन्न व्यवसायों में बेचता है, जैसे: बंधुआ मज़दूरी: ईंट भट्टों, खेतों या कारखानों में कम या बिना किसी वेतन के काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।
- यौन शोषण – कुछ लड़कियों को वेश्यावृत्ति में बेच दिया जाता है।
- भीख माँगना – बच्चों को सड़कों पर भीख माँगने के लिए मजबूर किया जाता है।
- अंग व्यापार – कुछ मामलों में, उनके अंगों को बेचने के लिए सौदे भी किए जाते हैं।
सख्त सजा: इस अपराध के लिए आजीवन कारावास या दस साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है, जो इसकी गंभीरता को दर्शाता है।