Waqf Board Punjab: हाल ही में पंजाब से वक्फ बोर्ड की जमीन को लेकर विवाद सामने आया है। जहां पंजाब में वक्फ बोर्ड द्वारा दलितों की 37 एकड़ जमीन अपने नाम दर्ज करने का मामला विवादित हो गया है, और पंजाब सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते है।
भूमि हस्तांतरण को लेकर ग्रामीणों का आरोप
पंजाब (Punjab) के पटियाला (Patiala) के नाभा (Nabha) में बोरन खुर्द गांव (Boran Khurd Village) से एक विवादित मामला सामने आया है, जहां पंजाब में वक्फ बोर्ड द्वारा दलितों की 37 एकड़ जमीन पंजाब वक्फ बोर्ड को हस्तांतरित कर दी गई है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह जमीन स्थानीय पंचायत की अनिवार्य सहमति के बिना हस्तांतरित की गई है। बोरन खुर्द गांव में लगभग 60% आबादी दलित है और इस हस्तांतरण के बाद उनके पास खेती के लिए केवल 15 एकड़ जमीन बची है। इस मामले को लेकर स्थानीय राजस्व अधिकारी का कहना है कि 1971 के भारत के राजपत्र के अनुसार, यह जमीन कानूनी तौर पर वक्फ बोर्ड की है, हालांकि दशकों तक यह पंचायत के नियंत्रण में रही। इसके अलावा राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा हस्तांतरण केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुपालन में एक राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा है।
इस मामले में बोरन खुर्द के निवासियों का कहना है कि इस जमीन का प्रबंधन हमेशा से पंचायत द्वारा किया जाता रहा है। गांव की सरपंच बलजीत कौर ने कहा कि ग्रामीणों की कई पीढ़ियां इस बात की गवाही दे सकती हैं कि इस जमीन की हर साल ग्रामीण विकास विभाग द्वारा नीलामी की जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि जल आपूर्ति विभाग ने इस जमीन के एक एकड़ हिस्से पर एक इमारत भी बना दी है। जिसके बाद ग्रामीण इस हस्तांतरण को चुनौती देने के तरीके तलाश रहे हैं और इसका विरोध भी कर रहे हैं।
वक्फ बोर्ड की संपत्तियां
आपको बता दें कि पंजाब वक्फ बोर्ड के पास अनुमानित 75,965 पंजीकृत वक्फ संपत्तियां हैं, जो लगभग 36,625 एकड़ भूमि को कवर करती हैं। इसमें से लगभग 38% भूमि पर अवैध अतिक्रमण है, जिसके कारण कई मामले अदालतों में लंबित हैं। वही इस मामले को लेकर वकील अश्विनी उपाध्याय ने पहले भी यह दावा किया है कि वक्फ बोर्ड ने दलितों की लाखों एकड़ जमीन पर कब्जा किया हुआ है।
वही यह मामला पंजाब में वक्फ बोर्ड (Punjab Waqf Board) की संपत्तियों और उनके प्रबंधन को लेकर चल रहे व्यापक विवाद का हिस्सा है। कई संगठनों और राजनीतिक दलों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर भी सवाल उठाए हैं, जिसमें उनका कहना है कि यह मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभावपूर्ण है। इस मामले में आगे की कानूनी और राजनीतिक कार्रवाइयां होने की संभावना है।
ऐतिहासिक दस्तावेजों का हवाला दिया
दूसरी और पंचायत सदस्य मोहन सिंह ने ऐतिहासिक दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि 1977 में पंचायत ने भूमिहीन परिवारों को दो एकड़ जमीन में से चार-चार मरले के रिहायशी प्लॉट आवंटित किए थे। उन्होंने आगे कहा कि सभी संबंधित दस्तावेज चंडीगढ़ कार्यालय में उपलब्ध हैं। मामला तब सामने आया जब राजस्व विभाग ने इस साल ग्राम पंचायत को 323 कनाल जमीन का टेंडर करने की अनुमति देने से यह कहकर इनकार कर दिया कि यह जमीन वक्फ बोर्ड की है। पंचायत ने पहले के रिकॉर्ड की जांच की और पाया कि 1994 में भी इसी तरह का प्रयास किया गया था, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था।