Jhajjar-Bahadurgarh News: हाल ही में हरियाणा के झज्जर-बहादुरगढ़ इलाके से एक चौंकाने वाली खबर आई है, जहां एक दलित कोच हरिओम की शिकायत को पंचायत मंत्री ने गंभीरता से लिया है। बताया जा रहा है कि मंत्री ने शिकायत के आधार पर अधिकारियों को उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते है।
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जानें क्या है पूरा मामला?
जो लोग कहते हैं कि दलितों जितनी सहूलियत इस देश में किसी को नहीं है, उन्हें दलितों के खिलाफ रोजाना होने वाले अत्याचार नजर नहीं आते…ऐसे फिजूल की टिप्पणी करने वाले मनुवादी दलित उत्पीड़न पर चुप्पी साध लेते हैं या फिर अपनी आंखे मूंद लेते हैं…लेकिन जब भी दलित समाज के खिलाफ जहर उगलना हो, ये प्रकट हो जाते हैं जी हाँ हरियाणा के झज्जर-बहादुरगढ़ क्षेत्र के सुंदरेहटी गांव से एक मामला सामने आया है जहाँ कोच का आरोप है कि सरकार की ओर से जारी खेल नर्सरियों की सूची में उसे कोच के पद पर नियुक्त किया गया है। इसके बावजूद सरपंच उसके दस्तावेजों का सत्यापन नहीं कर रहा है। वही इस मामले के प्रकाश में आते ही पंचायत मंत्री कृष्णलाल पंवार ने बुधवार को अधिकारियों को इस पर संज्ञान लेकर कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
दरअसल बीते दिन, बुधवार को कोच हरिओम अपने मामले को लेकर अपने ग्रामीणों व परिजनों के साथ पंचायत मंत्री कृष्णलाल पंवार के पास पहुंचे। कोच हरिओम ने बताया कि वह इस मामले में कई बार जिला उपायुक्त झज्जर से मिल चुके हैं तथा जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी व खंड विकास पंचायत अधिकारी के समक्ष भी गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
हरिओम का आरोप
इस मामले को लेकर हरिओम यहीं नहीं रुके। उन्होंने ब्लॉक स्तर के अधिकारियों पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी खेल नर्सरी के दस्तावेजों का जानबूझकर सत्यापन नहीं किया जा रहा है। सरकार ने सुंदरेहटी गांव की खेल नर्सरी में अनुसूचित जाति से कोच नियुक्त किया है, लेकिन सरपंच को यह मंजूर नहीं है। ब्लॉक स्तर के अधिकारी भी उनसे कहते हैं कि गांव वाले उनकी बात नहीं सुन रहे हैं।
इस मामले को लेकर गांव में तीन बार पंचायत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि 25 खिलाड़ियों का डाइट भत्ता इसलिए शुरू नहीं हो पाया, क्योंकि सरपंच द्वारा नर्सरी के दस्तावेज सत्यापित नहीं किए गए।
दलित कोच को मिली खेल नर्सरी
सुंदरहेटी गांव की खेल नर्सरी हरिओम को आवंटित हुई है। वह अनुसूचित जाति से आते हैं। इस नर्सरी के लिए दो और कोच थे, जो पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग से हैं। हरिओम के अनुसार गांव के लोग एक अनुसूचित जाति के कोच को खेल नर्सरी मिलना बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। इसके चलते गांव की खेल नर्सरी अब राजनीति का अखाड़ा बन गई है। हालांकि, आवेदन करते समय ऐसा नहीं था। गांव के सरपंच कृष्ण कुमार, जो अनुसूचित जाति से आते हैं, ने आवेदन पर मोहर लगाकर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन सूची जारी होने के बाद वह खेल नर्सरी मिलने से खुश नहीं हैं।