Dalits Angered by Chandrashekhar Azad: प्रयागराज में हुए हालिया बवाल सामने आया जहाँ चंद्रशेखर आज़ाद को दलित परिवार से मिलने से रोकने पर उनके समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प हो गई थी. इस घटना के बाद पुलिस ने दंगा करने के आरोप में 550 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है और 75 लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें से कुछ पर एनएसए और गैंगस्टर एक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया गया है. तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते है.
नहीं मिली प्रयागराज में चंद्रशेखर आजाद को एंट्री
दलित उत्पीड़न की खबरें हर रोज अखबारों में सुर्खियां बटोरती हैं. अखबारों और सोशल मीडिया पर हर रोज ऐसी खबरों की बाढ़ आती है लेकिन न तो सरकार दलितों के लिए कुछ करती है और न हीं सामाजिक संगठनों को दलितों के उत्थान से कोई मतलब है. सबको अपना पेट भरना है. वोट लेना है ऐसा ही एक मामला इन दिनों उत्तर प्रदेश में गरमाया हुआ है जहाँ यूपी के प्रयागराज में एक तरफ थे दलितों के मसीहा बन चुके भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद और दूसरी तरफ था यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का पुलिस प्रशासन… रविवार को चंद्रशेखर बलात्कार की पीड़ित दलित नाबालिक बच्ची से मिलने जा रहे थे लेकिन पुलिस ने उन्हें प्रयागराज में एंट्री ही नहीं दी. ऊपर से लाइट हाउस में उन्हें कई घंटों तक नजरबंद भी कर दिया.
चंद्रशेखर आजाद से दलित लोग ही नाराज
इस खबर के सामने आने के बाद भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने राज्य में जगह जगह उपद्रव किया. पुलिस की गाड़ी पलटने की घटना भी देखने को मिली, जिसके बाद पुलिस ने इन हंगामा करने वालों को धरदबोचा. लेकिन कहानी में यही ट्विस्ट आ गय. दलितों को सांसद जी का दोमुंहापन देखने को मिला. जी हां, चंद्रशेखर आजाद ने पहले मीडिया से कहा कि जिन लोगों ने प्रोटेस्ट किया, तोड़फोड़ किया असल में वो लोग उनके भीम आर्मी के थे ही नहीं वहीं सांसद का एक दूसरा वीडियो भी सामने आया है. जिसमें वो यह कहते दिख रहे हैं कि जिन लोगो को पकड़ा गया वो असल में बेगुनाह है. अब दलित समाज भी हैरान होगा कि चंद्रशेखर आजाद के किस चेहरे को असली माना जाये. खबर है कि इस अपराध में शामिल लोगों पर रासुका लगाया जा सकता है.
कानूनी और सामाजिक चुनौतियों का सामना
आपको बता दें कि रासुका उन पर लगाई जाती है, जिनसे देश को या राज्य को खतरा होता है. ऐसे में इन दलित युवाओं का भविष्य क्या होगा, इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं. अगर एक FIR दर्ज हो जाती है तो सरकारी नौकरी में समस्या पैदा हो जाती है, ऐसे में अगर इन पर रासुका लग गया फिर तो इनकी जिंदगी तबाह हो जाएगी. दूसरी ओर जिसके लिए इन्होंने पुलिस से पंगा ले लिया, अब वो ही अपने बयानों पर क्लीयर नहीं है. वही इस तरह के आंदोलनों में अक्सर पुलिस की कड़ी कार्रवाई होती है, जिसका सीधा असर निचले तबके के लोगों पर पड़ता है। ऐसे में वे महसूस करते हैं कि उनके “नेता” तो बड़े मंचों पर अपनी बात कह लेते हैं, लेकिन उनके बच्चों को “जेल काटना” पड़ता है.