BNS Section 157 in Hindi: भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 157, “ऐसे कैदी के भागने को लापरवाही से बर्दाश्त करने वाले लोक सेवक” से संबंधित है। यह धारा ऐसे लोक सेवक पर लागू होती है जिसकी लापरवाही (negligence) के कारण कोई सरकारी कैदी या युद्ध बंदी हिरासत (Prisoner of war) से भाग जाता है। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं कि ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस (BNS) में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।
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धारा 157 क्या कहती है? BNS Section 157 in Hindi
भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 157 कोई भी सरकारी कर्मचारी, जिसके पास राज्य कैदी या युद्ध बंदी की हिरासत है, अपनी लापरवाही या असावधानी से ऐसे कैदी को उस स्थान से भागने की अनुमति देता है जहाँ उसे रखा गया है।
- अपराध की प्रकृति – यह एक संज्ञेय अपराध है, जिसका अर्थ है कि पुलिस बिना वारंट के गिरफ़्तार कर सकती है।
- यह एक ज़मानती अपराध है, जिसका अर्थ है कि ज़मानत उपलब्ध है।
- इसकी सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है।
बीएनएस धारा 157 की मुख्य बातें
- इस धारा में लापरवाही शब्द का प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ है कि सरकारी कर्मचारी ने उचित सावधानी नहीं बरती, जिसके कारण कैदी भाग गया।
- यह धारा उन सरकारी कर्मचारियों पर लागू होती है जो कैदी की हिरासत के लिए जिम्मेदार होते हैं।
- यह धारा राज्य के कैदी या युद्ध बंदी पर लागू होती है।
- अगर सरकारी कर्मचारी ने जानबूझकर कैदी को भागने दिया तो यह एक अलग अपराध हो सकता है, लेकिन यह धारा लापरवाही से भागने के मामले को कवर करती है।
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बीएनएस धारा 157 उदाहरण – BNS Section 157 Example
बीएनएस (BNS) धारा 157 उदाहरण कुछ इस तरह से है कि…उदाहरण 1 – मान लीजिए, किसी जेल प्रहरी (जो सरकारी कर्मचारी है) को किसी सरकारी कैदी की रखवाली का काम सौंपा गया है। अगर प्रहरी ड्यूटी के दौरान सोता हुआ पाया जाता है और इस लापरवाही के कारण कैदी भाग जाता है, तो प्रहरी को बीएनएस की धारा 157 के तहत दंडित किया जा सकता है।
इसके अलवा आपको बता दें कि धारा 157 के तहत दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है कि इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर अपराध के लिए साधारण कारावास (simple imprisonment) की अवधि तीन वर्ष तक हो सकती है। जुर्माना भी लगाया जा सकता है।