Caste discrimination with Dalit professor: हाल ही में कर्नाटक (Karnataka) के बेंगलुरु यूनिवर्सिटी (Bangalore University) से विवादित मामला सामने आया है. जहाँ यूनिवर्सिटी में 10 दलित प्रोफेसरों (Dalit professors) ने प्रशासनिक पदों से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि यूनिवर्सिटी में नियुक्तियों और सर्विस से जुड़े लाभों में उनके साथ जातिगत भेदभाव हो रहा है. तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं.
दलित प्रोफेसरों के साथ जातिगत भेदभाव
भारत में दलितों पर अत्याचार और भेदभव की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. हर रोज दलित उत्पीड़न की तमाम ऐसी खबरें सामने आ रही हैं. लेकिन होता कुछ नहीं है ये खबरे सिर्फ कुछ पन्नो में ही छापी रह जाती है. न किसी को कोई सजा होती न किसी कजो को फर्क पड़ता है, देश में कितने कड़े कानून नियम होने के बावजूद भी हालत जस के तस ही है. दबंग बेख़ौफ़ घूमते है उन्हें न तो किसी का डर न तो किसी परवाह है. ऐसा ही एक चौकाने वाला मामला कर्नाटक (Karnataka) के बेंगलुरु यूनिवर्सिटी (Bangalore University) से सामने आया है. दरअसल, प्रोफेसरों (Professors) का कहना है कि नियुक्तियों में दलितों के साथ भेदभाव किया जा रहा है.
दलित प्रोफेसरों का आरोप किया गया साइडलाइन
वाइस-चांसलर (Vice- Chancellor) को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि वे सहयोगी से लेकर शिक्षण और सांस्कृतिक तक की भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन उन्हें साइडलाइन किया जा रहा है और उन्हें केवल सुपरवाइजरी का काम दिया जा रहा है. प्रोफेसरों का आरोप है कि सर्विस से जुड़े लाभों से वंचित किया जा रहा है, और उन्हें उन पदों का पूरा चार्ज नहीं दिया जा रहा है जिसके वे हकदार हैं. दूसरी और उन्होंने अपने पत्र में लिखा, हमारे खातों में पहले की तरह जमा होने वाली ई.एल. (EL) अमाउंट भी बंद कर दी गई है. हमने इस संबंध में कई बार प्रशासन से अनुरोध किया, लेकिन हमारी बात पर ध्यान नहीं दिया गया.
मांगे पूरी नहीं हुयी तो करेंगे आन्दोलन
आपको बता दें, यह इस्तीफा 2 जुलाई को कुलपति प्रोफेसर डॉ. जयकारा शेट्टी को लिखे पत्र के जरिए दिया गया। प्रोफेसरों ने चेतावनी दी है कि अगर एक हफ्ते के अंदर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे अपने प्रशासनिक पदों से इस्तीफा दे देंगे. और अपने हक के लिए प्रोटेस्ट करेंगे. इस पत्र पर अंबेडकर रिसर्च सेंटर (Ambedkar Research Center) के निदेशक प्रो. सोमशेखर सी, बाबू जगजीवन राम रिसर्च सेंटर (Babu Jagjivan Ram Research Center) के निदेशक प्रो. विजयकुमार एच डोड्डामणि जैसे वरिष्ठ प्रोफेसरों के हस्ताक्षर हैं. दूसरी और यह मामला उच्च शिक्षण संस्थानों में जातिगत भेदभाव के बढ़ते आरोपों को उजागर करता है, जहां पहले भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं.