दलित (OBC) आरक्षण के लिए मुख्य न्यायाधीश चीफ जस्टिस गवई का बड़ा फैसला, जानें क्या है पूरा मामला?

Chief Justice Gavai, OBC Reservation
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Justice Gavai’s OBC reservation: हाल ही में दलित आरक्षण के बाद अब सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ (CJI BR Gavai) और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने अन्य पिछड़ (OBC) के आरक्षण से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले पर फैसला सुनाया है. जिसमे अब सुप्रीम कोर्ट अपने स्टाफ की भर्ती में SC\ST के अलावा OBC, दिव्यांजनों, पूर्व सैनिकों और स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को आरक्षण का फायदा देगा. तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं.

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दलित आरक्षण के लिए मुख्य न्यायाधीश (CJI) का बड़ा फैसला

दलितों के साथ अत्यचार उनके साथ भेदभाव उनका हक़ मारना ये सब कुछ पुराने समय से चलता आ रहा है और आज समाज में इतने सब बदलाव होने के बावजूद भी कुछ बदलाव नहीं हो पाए है आज भी वो सरकारी सुविधा से वंचित रह जाते हैं, लेकिन बीते दिन दलित रिजर्वेशन को लेकर (CJI BR Gavai) ने एक बड़ा फैसला लिया है. मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के मुताबिक, यह फैसला 64 साल बाद आया है और इसे सामाजिक न्याय (Social justice) की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है. यह बदलाव इसलिए किया गया है ताकि समाज के सभी वर्गों के लोगों को सुप्रीम कोर्ट में नौकरियों के लिए समान अवसर मिले. इससे पहले कोर्ट में इस तरह का कोई आरक्षण नहीं था.

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई (Chief Justice BR Gavai)  की अध्यक्षता में यह निर्णय लिया गया है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अधिकारी और सेवक (सेवा और आचरण की शर्तें) नियम, 1961 के नियम 4ए में संशोधन किया गया है. संविधान के अनुच्छेद 146 (2) के तहत सुप्रीम कोर्ट अपने कर्मचारियों की भर्ती के नियम खुद तय करता है. अब इन सभी आरक्षित श्रेणियों को केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए आरक्षण के अनुसार लाभ मिलेगा.

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किसे कितना आरक्षण मिलेगा?

आपको बता दें, इस नए नियम के तहत OBC को 27%, SC को 15% और ST को 7.5% आरक्षण मिलेगा. यह आरक्षण सीनियर पर्सनल असिस्टेंट, असिस्टेंट लाइब्रेरियन, जूनियर कोर्ट असिस्टेंट, चैंबर अटेंडेंट (Senior Personal Assistant, Assistant Librarian, Junior Court Assistant, Chamber Attendant) जैसे पदों के लिए होगा.

ओबीसी (OBC)  के लिए यह फैसला 33 साल बाद आया है. 1992 में इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी (OBC) के लिए 27% आरक्षण को सही ठहराया था. लेकिन अभी तक सुप्रीम कोर्ट की अपनी भर्तियों में ओबीसी को यह लाभ नहीं मिला था.

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