Cruelty against Dalit woman: हाल ही में हरियाणा (Haryana) के कैथल (Kaithal) से इंसानियत को शर्मशार करने वाला मामला सामने आया है. जहाँ एक दलित महिला ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि वो 17 साल की एक बच्ची के लापता होने का मामला दर्ज कराने पुलिस स्टेशन पहुंची थी लेकिन उसकी शिकायत दर्ज नहीं की गयी. वही उसके साथ पुलिस ने बेरहमी से मारपीट की जिसमे महिला को गंभीर चोट आ गयी थी. जिसके बाद दलित महिला ने महिला आयोग की मदद ली है. तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं.
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दलित महिला के साथ क्रूरता
राज्य के हर हिस्से से करीब करीब हर दिन दलित उत्पीड़न की खबरें सामने आती रहती हैं. दलितों की स्थिति यहां बद से बदतर होती जा रही है. कभी किसी दलित के साथ मारपीट तो कभी कही किसी दलित महिला के साथ बर्बरता ऐसा ही के मामला हरियाणा के कैथल से सामने आया है. जहां पुलिस की बर्बरता की शिकार हुई महिला को घटना के 12 दिनों बाद न्याय की उम्मीद मिली है.
दरअसल, पीड़ित महिला 30 जून को 17 साल की एक बच्ची के लापता होने का मामला दर्ज कराने पुलिस स्टेशन पहुंची थी. मीडिया रिपोर्ट्स की जानकारी के मुताबिक थाने में पुलिस वालों ने पीड़ित महिला के साथ मारपीट की मारपीट में महिला को गंभीर चोटें आई लेकिन पुलिस के खौफ के कारण किसी भी डॉक्टर ने महिला का ईलाज नहीं किया. ऐसे में हरियाणा (Haryana) में पुलिस की दबंगई का आलम कैसा है, आप बखूबी समझ सकते हैं.
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महिला को न्याय मिलने की उम्मीद जगी
लेकिन अब इस मामले में राज्य अनुसूचित आयोग (State Scheduled Commission)कूद पड़ा है. जिससे कारण महिला को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है. आयोग के अध्यक्ष रविंदर बलियाला ने पीड़िता और दलित समुदाय (Dalit community) के लोगो की बातों को गंभीरता से लेते हुए एक हफ्तें के अंदर जांच रिपोर्ट देने का आदेश दिया है. इस मामले में 2 पुलिस कर्मियों के निलंबन होने की खबर भी है. वही इस घटना को लेकर सवाल ये है कि आखिर दलितों को न्याय दिलाने के लिए संगठनो को क्यों कूदना पड़ता है. जब कानून सबके लिए एक जैसा है तो फिर दलितों के मामले में कानून अंधा क्यों हो जाता है. कब तक दलितों को दब के रहना पड़ेगा. क्या समाज में इनके लिए कोई जगह नहीं हैं. सरकार को इन सभी के लिए कड़े नियम लागु करने होंगे ताकि समाज में इस तरह की घटना दुबारा ना हो पाए.