BNS Section 166 in Hindi: भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 166 भारतीय सशस्त्र बलों (Indian Armed Forces) में अनुशासन और आज्ञाकारिता बनाए रखने के लिए बनाया गया एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह धारा भारतीय सेना, नौसेना या वायु सेना (Indian Army, Navy or Air Force) के किसी भी अधिकारी, सैनिक, नाविक या वायुसैनिक द्वारा अवज्ञा के कृत्य को बढ़ावा देने से संबंधित है। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं कि ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।
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धारा 166 क्या कहती है? BNS Section 166 in Hindi
यह समझना ज़रूरी है कि इस धारा के तहत सज़ा तभी लागू होती है जब उकसावे के परिणामस्वरूप वास्तव में कोई अवज्ञाकारी कृत्य हुआ हो। इसका मतलब है कि सिर्फ़ उकसावे या उकसावे से काम नहीं चलेगा; यह भी ज़रूरी है कि अधिकारी या सैनिक इसके परिणामस्वरूप अवज्ञाकारी कृत्य करे।
इस धारा का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सशस्त्र बलों में किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता को बढ़ावा न मिले और सैनिकों को अपने वरिष्ठों के वैध आदेशों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। सैन्य संगठनों के सुचारू और प्रभावी संचालन के लिए यह आवश्यक है कि सभी सदस्य आज्ञाकारी हों और पदानुक्रम का सम्मान करें।
बीएनएस धारा 166 की मुख्य बातें
- यह धारा किसी को अवज्ञा के लिए उकसाने से संबंधित है।
- यह धारा थल सेना, नौसेना या वायु सेना के सदस्यों पर लागू होती है।
- यदि उकसावे के परिणामस्वरूप अवज्ञा का कार्य होता है, तो उकसाने वाले को दंडित किया जाएगा।
- वही इस धारा में अवज्ञा का अर्थ है किसी अधिकारी या उच्च अधिकारी के आदेशों की अवहेलना करना।
- इस सजा में दो वर्ष तक का कारावास, जुर्माना या दोनों शामिल हो सकते हैं।
- यह धारा सैन्य अनुशासन और व्यवस्था बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, और यह सुनिश्चित करती है कि सैन्य सदस्य अपने कर्तव्यों का पालन करें और सरकार के आदेशों का उल्लंघन न करें।
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इसके अलवा आपको बता दें कि धारा 166 के तहत दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है कि इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर अपराधी को किसी भी प्रकार के कारावास से दंडित किया जा सकता है, जिसकी अवधि दो वर्ष तक बढ़ सकती है। इसके साथ ही, उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।