प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा भुगत रही दलित बस्ती: टूटी नाली से रोज घायल हो रहे मासूम

Broken drain slab, Uttar Pradesh news
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Broken drain of the Dalit colony: हाल ही में उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर (Ambedkar Nagar) के रामनगर (Ramnagar) से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है. जहाँ दलित बस्ती के लोग प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे हैं. यहाँ न तो पक्की सड़क है, न आने-जाने की उचित सुविधा, न ही गलियों में नालियों के स्लैब बने हैं। लोगों, बच्चों और जानवरों के गिरने की घटनाएँ आम हो गई हैं. लेकिन नगर निगम की आँखें नहीं खुल रही हैं. तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते है.

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बच्चों और जानवरों के गिरने की घटनाएँ

कहा जाता है कि सरकार ने दलित समुदाय के लिए कई जनसुविधाएँ मुहैया कराई हैं. लेकिन इसका उन्हें कोई फ़ायदा नहीं हो रहा है. आज भी लोग गाँवों और कस्बों में वैसे ही रह रहे हैं जैसे पुराने ज़माने में रहते थे. उन्हें गाँव में पानी, सड़क जैसी तमाम सुविधाएँ नसीब नहीं हैं. ऐसा ही एक मामला बिहार के अंबेडकर नगर (Ambedkar Nagar) के रामनगर  (Ramnagar) विकासखंड की ग्राम पंचायत (Gram Panchayat of the block) नवगाँव (Navgaon) की दलित बस्ती नसीरपुर (Nasirpur) का है, जहाँ सरकारी नाले का स्लैब टूटा हुआ है. लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है. इस नाले में रोजना बच्चों और जानवरों के गिरने की घटनाएँ आम हो गई हैं. हर रोज कोई ना खबर सामने आती है और कोई ना कोई चोटिल होता है.

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ग्राम प्रधान और सचिव समस्या को कर रहे नजरअंदाज

मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार, हाल ही में एक समाजसेवी भी अपनी मोटरसाइकिल समेत इसी नाले में गिर गया था. जिसके बाद इसकी शिकायत उसने एडीओ ADO पंचायत बृजेश वर्मा से की थी. लेकिन शिकायत के बाद सिर्फ़ सड़क से अवरोध हटाया गया. पर नाले की मरम्मत नहीं कराई गई. वो उसी टूटे-फूटे हल में है जैसे कि पहले था. उसमे कोई बदलाव नहीं हुआ है. दूसरी और गाँव के लोगो कहना है कि बारिश के दौरान अक्सर सड़कों के गड्ढों में कई-कई दिनों तक पानी जमा रहता है. वही नसीरपुर के राजकुमार, अभिषेक, सौरभ, गौरव, रीना और सनतकुमार समेत कई लोगों ने मीडिया के माध्यम से नाले की तत्काल मरम्मत कराने की माँग की है.

साथ ही बताया कि ग्राम प्रधान और सचिव इस समस्या की अनदेखी कर रहे हैं. मुख्यमंत्री संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तहत पैसा खर्च किया जा रहा है, लेकिन अधिकारी और कर्मचारी अपनी ज़िम्मेदारियों से बच रहे हैं. इस संबंध में ग्राम प्रधान संजय गौतम से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन वे उपलब्ध नहीं हो सके. अब सवाल ये है कि आखिर कब तक गाँव वालो की शिकायत पर कोई फैसला सामने आता है.

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