Dalit youth beaten: हाल ही में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के दमोह जिले (Damoh district) के पथरिया थाना क्षेत्र के सुजनीपुर गांव (Sujnipur Village) में दिल दहलाने वाली खबर सामने आई है. जहाँ दलित के घर से कुछ सवर्णों पर पानी की कुछ छींटे क्या पड़ गए, सवर्णों का गुस्सा इतना भड़क गया कि उन्होंने दलित युवक को पीट पीट कर अधमरा कर दिया. जिसके बाद पीड़ित युवक ने स्थनीय जाकर इस ममाले की शिकायत दर्ज करवाई है. तो चलिए आपको इस लेख में पूरे ममाले के बारे में विस्तार से बताते है.
और पढ़े: Chauri Chaura: शादी का वादा कर दलित युवती का यौन शोषण, गर्भवती होने पर बनाया गर्भपात का दबाव
पानी की छींटे पड़ने पर दलित युवक को पीटा
कहने को मेरा देश चाँद पर पहुचा रहा है लेकिन हालात तो आज भी वैसे ही है जैसे कल थे. दलितों के साथ आज भी वोही होता है. जो वर्षो पहले होता था. दलित आज भी वही जीवन जी रहे हैं समाज में आज भी उनके साथ उंच नीच ही होती है. मारपीट के मामले तो थमने का नाम नहीं ले रहे है. रोज दिन अखबार के किसी कोने में दलित उत्पीड़न की खबर छापती है. वही दलित उत्पीडन से जुड़ा ऐसा ही एक मामला यूपी से सामने आया है. जहां एक दलित के घर से कुछ सवर्णों पर पानी की कुछ छींटे क्या पड़ गए, सवर्णों का गुस्सा इतना भड़क गया कि उन्होंने दलित युवक को पीट पीट कर अस्पताल पहुंचा दिया.
दरअसल, ये घटना नवाबगंज के मिलक पिछौड़ा गांव का है.जहां संजीव कुमार नाम के एक दलित युवक को पीटने की खबर से पूरे गांव में सनसनी मचा दी है. संजीव कुमार ने बताया कि 18 जुलाई को वो अपने घर के बाहर लगे नल से पानी ले रहे थे. वहीं पास में कुछ दबंग बैठ थे लेकिन पानी लेने के दैरान पानी की कुछ छींटे दबंगों पर पड़ गए. जिसके बाद दबंगो ने संजीव को धर्म भ्रष्ट करने के नाम पर बुरी तरह से पीटा.
और पढ़े: फिल्मी अंदाज में दबंगों ने की दलित से मारपीट, निवाड़ी में पुलिस तक जाने में भी अड़चन
पुलिसवालो ने नहीं करी पीड़ित की शिकायत दर्ज
लेकिन हैरानी की बात तो ये ही संजीव ने नवाबगंज थाना में इसकी शिकायत दर्ज करानी चाही तो पुलिस वालों ने शिकायज दर्ज करने से ही इनकार कर दिया. जिसके बाद संजीव को सीओ चकबंदी सुधीर कुमार राय का दरवाजा खटखटाना पड़ा. फिलहाल इस मामले में पुलिस की तरफ से कोई बयान नहीं आया है. लेकिन दलितों के साथ इस तरह की बर्बरता और पुलिस का लचर रवैया बताता है कि दलितों की स्थिति उत्तर प्रदेश में कैसी है. वही सवाल ये भी उठता है आखिर कब तक दलितों को समाज में इस तरह की बुराई का सम्मान करना पड़ेगा.