चंदौली कोर्ट का बड़ा फैसला दलित उत्पीड़न के 8 दोषियों को 10 साल की कैद, ₹60,000 जुर्माना

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Chandauli case of atrocities on Dalits: हाल ही में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के चंदौली (Chandauli) से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहाँ चंदौली की एक अदालत ने दलित उत्पीड़न (Dalit Opression) के एक मामले में सख्त फैसला सुनाया है। अदालत ने आठ दोषियों को 10-10 साल के कठोर कारावास और 60-60 हज़ार रुपये के जुर्माने की सज़ा सुनाई है। यह फैसला अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC-ST) (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत सुनाया गया है। इस मामले में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोषियों के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश किए, जिसके आधार पर अदालत ने यह सजा सुनाई। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं।

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अदालत ने सुनाई कठोर कारावास की सजा

दलितों पर अत्याचार की खबरें आए दिन सामने आती रहती हैं। लेकिन कार्रवाई कुछ ही लोगों पर होती है। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से सामने आया है जहाँ चंदौली के विशेष न्यायाधीश (Justice) एससी-एसटी (SC-ST) राम बाबू यादव की अदालत ने शुक्रवार को दलित उत्पीड़न के एक मामले में आठ आरोपियों को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने सभी आरोपियों पर 60,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

आपको बता दें, यह मामला 26 मार्च साल 2005 का है। दरअसल, धीना थाने (Dheena Thana) में हत्या के प्रयास और दलित उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में पुलिस ने कंजेहरा गाँव के उपेंद्र यादव, राम चरण, रवींद्र, राम अवधेश यादव, राम आशीष यादव, राम बचन यादव, राम अवध और संजय यादव को मुख्य आरोपी बनाया था।

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एससी-एसटी एक्ट के तहत दोषी करार

वही मीडिया रेपिर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी राम बाबू यादव की अदालत में हुई। धीना थाने के अधिवक्ता मनीष कुमार गुप्ता ने सभी आठ आरोपियों के खिलाफ अदालत में साक्ष्य प्रस्तुत किए।

अभियोजन पक्ष की ओर से अधिवक्ता जय प्रकाश सिंह (एडीजीसी) ने अदालत में दलीलें पेश कीं। मॉनिटरिंग सेल प्रभारी निरीक्षक मुकेश तिवारी, अधिवक्ता जय प्रकाश सिंह और धीना के अधिवक्ता मनीष कुमार गुप्ता की प्रभावी पैरवी के फलस्वरूप अदालत ने सभी आरोपियों को एससी-एसटी एक्ट के तहत दोषी करार दिया। साथ ही अदालत ने यह भी आदेश दिया कि जुर्माना अदा न करने पर दोषियों को छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

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