Supreme court order: हाल ही में झारखंड की एक दलित महिला जज के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट को नोटिस जारी किया है। यह मामला तब चर्चा में आया जब महिला जज को तीन साल की केयर लीव (सीसीएल) से छूट दी गई, लेकिन उन्हें यह नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे विस्तार से बताते है।
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अवकाश न दिए जानें पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को झारखंड उच्च न्यायालय (Jharkhand High Court) को एक दलित महिला न्यायाधीश (Dalit woman judge)द्वारा दायर एक नए आवेदन पर नोटिस जारी किया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि बाल देखभाल अवकाश न दिए जाने के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने के बाद उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) में प्रतिकूल टिप्पणियां की गई थीं। वही महिला जज का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट में वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में नामांकन दाखिल करने के बाद उनकी याचिका खारिज कर दी गई। उन्होंने यह भी बताया कि वह सिंगल पेरेंट हैं और समाज के सबसे निचले तबके से आती हैं।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले की सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट से जवाब मांगा है। वही न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने झारखंड उच्च न्यायालय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए.के. सिन्हा की दलीलें दर्ज कीं। दूसरी और हाईकोर्ट ने शरणार्थी महिला को केयर लीव मंजूर करना शुरू कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद उन्हें 92 दिनों की छुट्टी पर विचार किया गया, हालांकि महिला जज ने 194 दिनों की छुट्टी की छूट दी थी।
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झारखंड हाईकोर्ट को चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश
इस मामले में मंदिर व्यवस्था में संस्थागत दुकानों और अधिकारियों की स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। महिला जज के वकील ने यह भी दलील दी है कि उनकी मुवक्किल जजों की श्रेणी में आती हैं और उन्होंने बड़ी संख्या में केस दायर किए हैं, और अपने क्षेत्र में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले जजों में से हैं। इसके बावजूद जब वह सुप्रीम कोर्ट गईं तो उनके खिलाफ एसीआर में विपक्ष की टिप्पणी की गई, जिसे राष्ट्रीय स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया गया। वही सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) को चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है और मामले की अगली सुनवाई पिछले सप्ताह तय की गई है।