अंबेडकर समग्र सेवा शिविर: बिहार में दलितों के उत्थान के लिए उठाया गया ये बड़ा कदम

Br. ambedkar, Baba Shaheb
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Bihar: बिहार प्रखंड के चार पंचायतों में कल यानि शनिवार को डॉ अंबेडकर समग्र सेवा विकास शिविर Ambedkar Samagra Seva Camp का आयोजन किया जाएगा। इस शिविर का मुख्य उद्देश्य सरकारी योजनाओं से वंचित दलित एवं महादलित परिवारों को इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करना है। शिविर में विभिन्न सरकारी योजनाओं एवं आवेदन प्रक्रिया से संबंधित जानकारी दी जाएगी, ताकि योग्य परिवार लाभान्वित हो सकें। तो चलिए आपको इस लेख में शिविर में दी जाने वाली विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में बताते है।

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जानें अंबेडकर समग्र सेवा शिविर

अंबेडकर समग्र सेवा शिविर (Ambedkar Samagra Seva Camp) का उद्देश्य दलित और महादलित परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करना है। इस विशेष शिविर में वंचित परिवारों की समस्याओं के समाधान के साथ-साथ उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी देने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। वही अब यह शिविर बिहार के 4 पंचायतों में आयोजित होगा जहाँ  अंबेडकर समग्र सेवा शिविर के तहत गरीब वंचित महादलित परिवार के लोगों को रहात दी जाएगी।

आपको बता दें शिविर में दी जाने वाली सेवाएं राशन कार्ड जाति, आवासीय एवं आय प्रमाण पत्र मनरेगा जॉब कार्ड आवासीय भूमि प्रमाण पत्र आधार कार्ड निर्माण उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन नल जल कनेक्शन एवं मरम्मत स्वच्छ भारत मिशन एवं व्यक्तिगत शौचालय जन-धन खाता बीमा योजनाएं ई-श्रम कार्ड श्रमिक पंजीकरण जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र स्कूल छोड़ने वाले बच्चों के लिए स्कूल में नामांकन एवं पुनः नामांकन की प्रक्रिया कौशल विकास प्रशिक्षण मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना आदि।

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शिविर का उद्देश्य

महादलित परिवार के लोगों की व्यक्तिगत समस्याओं का भी समाधान किया जाएगा। यह जानकारी गुरुवार को बीडीओ जफरूद्दीन ने दी। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा चिह्नित विभिन्न योजनाओं से वंचित महादलित परिवारों को शत-प्रतिशत लाभ दिया जाएगा। इसके लिए चार पंचायतों में शिविर लगाकर उनकी समस्याओं से संबंधित जानकारी एकत्र की जाएगी। 10 मई को बिंद के गढ़पर रविदास टोला, जहाना के रामपुर रविदास टोला, उतराथु के मसिया बिगहा पासी टोला और कटहराही के मांझी रविदास टोला में शिविर लगाया जाएगा। उन्होंने महादलित परिवारों से शिविर में भाग लेने की अपील की है।

आपको बता दें, बिहार में आदिवासियों की स्थिति जटिल है, जिसमें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक तत्वों का मिश्रण शामिल है। 2011 की जनगणना के अनुसार, बिहार की लगभग 16% आबादी दलित है, और इनमें से 21 जातियों को ‘महादलित’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिनमें से अधिकांश दलित हैं। ऐतिहासिक रूप से, दलितों को जाति व्यवस्था के सबसे निचले पायदान पर रखा गया है और उन्हें कई तरह के उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है। हालाँकि अस्पृश्यता को कानूनी रूप से समाप्त कर दिया गया है, लेकिन सामाजिक स्तर पर भेदभाव अभी भी व्याप्त है। दलित बच्चों को स्कूलों में जाति-आधारित ताने सहने पड़ते हैं और उनके रूप-रंग और पहनावे का मज़ाक उड़ाया जाता है।

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