Barabanki Crime: हाल ही में उत्तर प्रदेश के बाराबंकी से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां कथित रूप से प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा एक दलित युवक की बेरहमी से पिटाई की गई, फिर भी पुलिस ने कथित रूप से एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया है। पुलिस की इस कथित निष्क्रियता ने स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली और कमजोर समुदायों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते है।
घर में घुसकर दलित युवक से मारपीट
दलितों पर अत्याचार आम बात हो गई है। हर दिन कोई न कोई नई खबर सामने आ रही है। एक बार फिर उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में एक पखवाड़े पहले एक दलित युवक को रात में उसके घर में घुसकर पीटा गया। इतना ही नहीं उसे जान से मारने की धमकी दी गई और जातिसूचक गालियां भी दी गईं। जिसके बाद पीड़ित ने स्थानीय पुलिस में जाकर अपनी शिकायत दर्ज कराई, लेकिन 15 दिन बीत जाने के बाद भी मुकदमा दर्ज करना तो दूर, कोई कार्रवाई नहीं हुई। और योगी सरकार में जीरो टॉलरेंस कहां है?
मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार थाना टिकैतनगर के मोहल्ला नूरवाफ निवासी दलित युवक अमर सिंह गौतम पुत्र संतराम गौतम ने टिकैतनगर पुलिस को दी गई तहरीर में आरोप लगाया है कि दलित युवक को एक मामले में गवाही देने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। जिसके अनुसार 4 जून की रात करीब 10:30 बजे अमर सिंह गौतम खाना खाने के बाद टहलने के लिए निकला था। उसी समय टिकैतनगर के मोहल्ला नूरवाफ निवासी स्वर्गीय राम अवध शर्मा के पुत्र रामू शर्मा और गुरुदीन शर्मा उर्फ नन्नू ने एक मामले में गवाही देने को लेकर जातिसूचक गालियां देनी शुरू कर दीं और कहा कि अगर मेरे मामले में गवाही दोगे तो तुम्हें जान से मार देंगे।
दलित युवक की शिकायत दर्ज नहीं की गई
धमकियों के बाद भी ये मामला नहीं थमा पीड़ित अपनी जान बचाने के लिए घर के अंदर भागा लेकिन गुंडों ने उसका पीछा नहीं किया और घर में घुसकर लात-घूंसों से उसकी पिटाई शुरू कर दी। जब वह चीखने चिल्लाने लगा और चारों तरफ भागने लगा तो अलग-अलग गुंडे वहां से भाग गए। मीडिया के मुताबिक एक शख्स की शिकायत है जहां एसपी ने पुलिस के साथ पीड़ित की तलाश में जिला मुख्यालय पर दबिश दी।
लेकिन 15 दिन से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी न तो मामला दर्ज हुआ और न ही दस्तावेजों के बारे में पूछताछ करने की कोई कोशिश की गई। जिसको लेकर अब दलित युवक ने 21 जून को उत्तर प्रदेश के पासपोर्ट जाति और जनजाति आयोग को एक लिखित आवेदन दिया है। आपको बता दें कि ये मामला नाजुक फ्रांसीसी समाज को समान न्याय की जरूरत और लॉ एडमिशन में ज्यादा धाराओं की जरूरत को उजागर करता है।