Barabanki: लाइब्रेरी में बवाल, टिफिन छूने पर दलित छात्र से मारपीट जातिसूचक शब्दों से किया अपमानित

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Dalit student beaten up: हाल ही में उत्तर प्रदेश (UP) के बाराबंकी (Barabanki) से एक इंसानियत को शर्मशार करने वाली खबर सामने आई है. जहाँ एक दलित छात्र को (Dalit Student) उंच जाति के लोगो ने सिर्फ इसलिए पीट दिया क्योंकि उससे गलती से एक उंच जाति व्यक्ति का टिफ़िन बॉक्स टच हो गया था. बस फिर क्या था मनुवादियों को मौका मिल गया और उन्होंने दलित युवक की बेरहमी से की पीटाई कर दी और जब इतने से मन नहीं भरा तो दलित छात्र को जातिसूचक गालियां देकर अपमानित भी किया. तो चलिए आपको इस लेख में पूरे ममाले के बारे में विस्तार से बताते है.

टिफ़िन टच होने पर दलित छात्र की पिटाई  

दलित जाति के साथ आज भी छुआछुत भेदभाव की घटना सामने आती है. सदियों से चली आ रही यह सोच कि दलित “नीची जाति” के हैं, आज भी कई लोगों के मन में बसी हुई है. यह मानसिकता उन्हें दलितों के साथ समान व्यवहार करने से रोकती है और यही कारण है कि आज भी दलित उंच जाति के साथ बैठकर खाना नहीं खा सकते है. ऐसी ही एक दलित उत्पीड़न की एक खबर यूपी से सामने आई है, जहां एक दलित छात्र से गलती से ऊंची जाति के छात्र का लंच बॉक्स टच हो गया. उसके बाद दलित छात्र को न सिर्फ जातिसूचक गालियां दी गई बल्कि उसके साथ बुरी तरह से मारपीट भी की गई.

गलती से टिफ़िन टच

दरअसल, यह घटना बाराबंकी जिले के मसौली (Masauli) थाना क्षेत्र के डफलियान गांव (Dafliyan village) की है, जहां अनुसूचित जाति (scheduled caste) से आने वाला छात्र उदयभान रोज की भांति मसौली चौराहे के पास स्थित पशु बाजार लाइब्रेरी (Animal Market Library) में पढ़ने गया था. दोपहर करीब 2 बजे लंच के समय जब उसने अपना टिफिन मेज पर रखा तो ऊंची जाति से आने वाले छात्र प्रदुम शुक्ला का टिफिन उससे गलती से टच हो गया.

हमारे साथ बैठकर खाना कैसे खा सकते हो?

जिसके बाद प्रदुम शुक्ला ने बवाल मचाना शुरु कर दिया. उसने न सिर्फ उदयभान को जातिसूचक गालियां दी, बल्कि अपने साथियों के साथ मिलकर उसकी जमकर पिटाई कर दी. वही दलित छात्र का आरोप है कि प्रदुम शुक्ला ने उसे धमकी देते हुए कहा कि तुम नीच जाति के होकर हमारे साथ बैठकर खाना कैसे खा सकते हो? दलित छात्र उदयभान, इस घटना से बेहद आहत है. पीड़ित परिवार ने मसौली थाना प्रभारी को पत्र लिखकर, इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की है.

वही इस घटना को लेकर एक बार फिर दलितों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ गए है. आखिर अब समाज में दलितों को एक सम्मान होने हक़ मिलेगा? कब उनके साथ भेदभाव खत्म होगा. कब मनुवादी सोच बदलेगी और दलित समुदाय को पूर्ण रूप से आज़ादी मिलेगी?

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