BHU Hospital: दो प्रोफेसरों पर दलित उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज, ट्रॉमा सेंटर के वेटर की अर्जी पर हुई कार्रवाई

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Varanasi: हाल ही में उत्तर प्रदेश के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सर सुंदर लाल अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में एक दलित कर्मचारी के साथ जातिवादी गाली देने और दुर्व्यवहार करने के आरोप में दो प्रोफेसरों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट (SC/ST Act) के तहत मामला दर्ज किया गया है। तो चलिए इस लेख में आपको पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं।

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अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाल ही में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सर सुंदर लाल अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के एक दलित वेटर ने आरोप लगाया है कि अस्पताल के दो प्रोफेसरों – जनरल सर्जरी विभाग (Department of General Surgery) के प्रोफेसर शशि प्रकाश मिश्रा और ईएनटी विभाग (ENT Department) के डॉ. विशंभर सिंह ने लंका थाने में उसके साथ बदसलूकी की, जिसके बाद उसने पहले पुलिस से संपर्क किया, लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वेटर की याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने दोनों प्रोफेसरों के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने का आदेश दिया।

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दलित कर्मचारी के साथ अभद्रता

यह कार्रवाई बीएचयू ट्रॉमा सेंटर के मरीज रसोई के वेटर कमलेश कुमार गोंड की शिकायत पर की गई है। जहाँ कमलेश कुमार गोंड ने बताया कि 24 मई को प्रो. शशि प्रकाश मिश्रा मरीज रसोई के पास से गुजर रहे थे। उन्हें देखते ही उन्होंने अपमानजनक तरीके से संबोधित किया और चाय-नाश्ता लाने को कहा। जब उन्होंने इस अपमानजनक व्यवहार का विरोध किया तो प्रो. मिश्रा ने जातिसूचक गाली-गलौज और अभद्र व्यवहार किया। जिसके बाद 26 मई को जब प्रोफेसर मिश्रा मरीजों के किचन के पास से गुजर रहे थे, तो उन्होंने एक कुर्सी पर लात मारी और फिर से जातिवादी गालियां दीं। उन्होंने वहां मौजूद अपनी महिला सहकर्मी के खिलाफ भी अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया।

आपको बता दें यह करवाई कोर्ट के आदेश पर की गई है। यानी वेटर ने सीधे पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के बजाय पहले कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस को केस दर्ज करने का आदेश दिया। वही यह घटना बीएचयू परिसर में कथित जातिगत उत्पीड़न के एक और मामले को उजागर करती है, और इस पर आगे की जांच और कानूनी कार्यवाही होगी।

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