Bihar Politics: “सबके नेता बनो, दलितों के नहीं!” चिराग पासवान पर बरसे मांझी, कहा- ‘समझदारी नहीं है उनमें’

Chirag Paswan - Jitan ram Manjhi, Bihar Politics
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Bihar Politics: बिहार (Bihar) की राजनीति में दलित वोटों (Dalit Votes) को लेकर खींचातानी जारी है. केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी (Union Minister Jitan Ram Manjhi) ने केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान (Union Minister Chirag Paswan) पर निशाना साधते हुए कहा है कि उन्हें “सबके नेता बनना चाहिए, दलितों के नहीं!” और उनमें “समझदारी नहीं है”. यह बयान चिराग पासवान (Chirag Paswan)  के खुद को दलितों का सबसे बड़ा हितैषी बताने के बाद आया है. तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते है.

चिराग पासवान खुद को बताया दलित हितैषी

बिहार (Bihar) में जैसे-जैसे विधानसभा (Assembly elections) के चुनाव नजदीक आ रहे हैं, सभी राजनीतिक दल दलित वोटों (Dalit Votes) को अपने पाले में करने की जोरदार तैयारी में नजर आ रहे हैं. हर पार्टी के नेता बड़ी-बड़ी रैलियां कर रहे हैं और दलितों के लिए सुविधाएं मुहैया कराने की बात कर रहे हैं. इन सबके बीच बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए (NDA) और महागठबंधन के सहयोगी दलों के बीच अपने-अपने विचारों और महत्वाकांक्षाओं को लेकर खींचतान चल रही है. हाल ही में बिहार में नालंदा जिले (Nalanda district) के राजगीर (Rajgir) में आयोजित बहुजन भीम संकल्प सम्मेलन (Bahujan Bhim Resolution Conference) में चिराग पासवान ने खुद को दलितों का सबसे बड़ा हितैषी बताते हुए विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा.

उन्होंने कहा कि विपक्ष अनुसूचित जाति, जनजाति (SC/ST Communities) और अल्पसंख्यकों को आरक्षण और संविधान को लेकर डराने की कोशिश कर रहा है, लेकिन जब तक वे केंद्र में हैं, तब तक आरक्षण और संविधान को कोई खतरा नहीं है. साथ ही “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” (Bihar First, Bihari First) का नारा दोहराते हुए चिराग ने खुद को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर (Baba Saheb Bhimrao Ambedkar) और अपने पिता रामविलास पासवान (Ram vilas paswan) के आदर्शों का सच्चा अनुयायी बताया.

चिराग पासवान पर भड़के जीतन राम मांझी

वही इन्हीं सभी बातो को सुनकर एनडीए (NDA) के वरिष्ठ नेता जीतन राम मांझी ने निशाना साधते हुए चिराग पासवान को राजनीति में अनुभव की कमी बताई है. उनका मानना ​​है कि जाति या वर्ग केंद्रित राजनीति एकतरफा सोच का प्रतीक है. मांझी ने चिराग को दलितों के बजाय सर्व समाज का नेता बनने की सलाह दी है. उनका कहना है कि जो गरीब और जरूरतमंद हैं उनकी सेवा करनी चाहिए. मांझी ने चिराग की रैलियों में उमड़ रही भीड़ को परोक्ष रूप से दिखावा करार देते हुए कहा कि मजबूत नेता दिखावा नहीं करते, बल्कि काम करते हैं.

मांझी ने आगे बात करते हुए कहा राजीनति में एक्सपीरियंस काफी महत्व रखता है. किसी एक जाती के लिए काम नहीं करना होता है सभी के एक बराबर काम करना होता है साथ ही उन्होंने चिराग पासवान के चुनवी दावे पर व्यंग करते हुए कहा बिहार में तो सभी ही चुनाव लड़ते हैं. इसमें नया क्या है?

NDA में अहमियत

आपको बता दें, यह बयान बिहार में दलित वोट बैंक को देखने के लिए चल रही खींचतान के अनुरूप होने का दावा करता है. बिहार की आबादी में दलितों की हिस्सेदारी करीब 20 फीसदी है और उनका वोट शेयर काफी महत्वपूर्ण है. चिराग पासवान जहां अपनी पार्टी को नई पहचान देने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं मांझी अनुभव और समावेशी राजनीति का हवाला देकर एनडीए के भीतर अपनी अहमियत जताने की कोशिश कर रहे हैं. वोट और उनकी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) जातियों में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है, खासकर बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले.

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