BJP MLA Parthasarathi:हाल ही में आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के अदोनी से एक विवादित घटना सामने आई है। इस घटना में बीजेपी विधायक पार्थसारथी ने एक दलित सरपंच को उसकी जाति के कारण एक कार्यक्रम में मंच पर बुलाने से मना कर दिया। विधायक को बताया गया कि सरपंच दलित समुदाय से है, जिसके बाद उन्होंने सरपंच को मंच पर बुलाने से मना कर दिया। आइए आपको इस मामले की पूरी जानकारी विस्तार से देते हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ विडियो
बीते दिन आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के कुरनूल जिले (Kurnool district) के अदोनी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें बीजेपी विधायक पीवी पार्थसारथी (BJP MLA PV Parthasarathy) कथित तौर पर एक दलित सरपंच (Dalit sarpanch) को उसकी जाति के बारे में जानने के बाद सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान मंच पर जाने से मना करके अपमानित करते हुए दिखाई दे रहे हैं। दरअसल बीते 16 जून के इस वीडियो में पार्थसारथी अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक जनसभा को संबोधित करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
दरअसल कार्यक्रम के दौरान जब विधायक भीड़ में मौजूद एक सरपंच को आवाज़ देते हैं, “अरे सरपंच, तुम इधर आओ, तुम वहाँ क्यों खड़े हो?” जब सरपंच आगे बढ़ने में हिचकिचाता है, तो विधायक पूछते हैं, “क्या वह ईसाई है?” तभी उनके बगल में खड़े तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के नेता ने जवाब दिया, “वह अनुसूचित जाति (एससी) से हैं, सर।”
भाजपा विधायक : ए सरपंच, मंच पर आओ। क्यों नहीं आ रहे हो?
TDP नेत्री: सर वो SC (दलित) है।
विधायक: ओके। SC है, चलो वही खड़े रहो।
आंध्र प्रदेश में Adoni के भाजपा विधायक पार्थसारथी का दलित सरपंच से भेदभाव का वीडियो वायरल#BJP #TDP #viralvideo pic.twitter.com/EoSUurE911— Dalit Dastak | दलित दस्तक (@DalitDastak) June 19, 2025
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टीडीपी नेता ने कैमरे से छुपाया अपना चेहरा
इसके बाद, भाजपा विधायक और टीडीपी नेता मंच के सामने की ओर इशारा करते हैं और सरपंच को उनके साथ मंच पर आने के बजाय वहीं रहने का निर्देश देते हैं। विधायक कहते हैं, “ठीक है, तो फिर यहीं आकर खड़े हो जाओ” और सरपंच उनकी बात मान लेते हैं। इस बातचीत के दौरान, टीडीपी नेता को लगातार कैमरों से अपना चेहरा छिपाते हुए देखा जा सकता है। वीडियो को ऑनलाइन काफ़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, कई लोगों ने इस घटना को जातिवादी और अपमानजनक बताया है। कई यूज़र्स ने नेताओं की बॉडी लैंग्वेज और हाव-भाव को बेहद अपमानजनक बताया है, खासकर इसलिए क्योंकि यह सार्वजनिक रूप से हुआ।
एक एक्स यूजर ने टिप्पणी की, “कौन ज़्यादा दोषी है: दलित सरपंच का अपमान करने वाला जातिवादी नेता या खुद सरपंच, जो अपनी गरिमा से ज़्यादा सत्ता को महत्व देते हुए चुप रहा? क्या यह चुप्पी दलितों, मुसलमानों और हाशिए पर पड़े लोगों के रोज़ाना अपमान को बढ़ावा नहीं देती?”