BNS Section 216 in Hindi: भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 216 के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति जो जानबूझकर अदालत में शपथ लेकर झूठा बयान देता है, उस मामले में झूठी गवाही देने का दोषी है जिसमें उसे सच बोलने के लिए मजबूर किया गया था। ऐसे व्यक्ति पर भारतीय दंड संहिता की धारा 216 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं कि ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस (Bhaarateey dand sanhita) में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।
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धारा 216 क्या कहती है? BNS Section 216 in Hindi
जैसा कि आप जानते हैं कि अलग-अलग धाराओं में अलग-अलग अधिनियम और दंड हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीएनएस की धारा 215 क्या कहती है, अगर नहीं तो आइए जानते हैं। बीएनएस (BNS) की धारा 216, के अनुसार, जो कोई भी किसी लोक सेवक या अन्य प्राधिकृत व्यक्ति के समक्ष शपथ या प्रतिज्ञान पर झूठा बयान देता है, उसे तीन साल तक की कैद और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। यह एक गंभीर अपराध है क्योंकि यह न्याय की प्रक्रिया को सीधे प्रभावित करता है।
आपको बता दें, यह धारा न्यायिक प्रक्रिया की अखंडता बनाए रखने और झूठी गवाही के माध्यम से इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए बनाई गई है।
इसके अलवा कानून उन लोगों को जवाबदेह ठहराता है जो कानूनी कार्यवाही के दौरान सच बोलने की अपनी ज़िम्मेदारी निभाने से इनकार करते हैं या जानबूझकर झूठे बयान देते हैं।
बीएनएस धारा 216 की महतवपूर्ण बातें
- शपथ पर झूठा बयान: यह धारा उन व्यक्तियों पर लागू होती है जो शपथ या प्रतिज्ञान के तहत सच बोलने के लिए कानूनी रूप से बाध्य हैं और जानबूझकर झूठा बयान देते हैं।
- झूठा बयान देना एक गंभीर अपराध माना जाता है क्योंकि यह न्याय में बाधा डालता है और विश्वास को कम करता है।
- धारा 216 का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोग शपथ लेने के बाद भी सच बोलें, ताकि न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष और प्रभावी बनी रहे।
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बीएनएस धारा 216 की और सजा
इसके अलवा आपको बता दें कि BNS की धारा (Section) 216 के तहत दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान है कि, धारा 216 में इस प्रकार के दंड (Punishment) का प्रावधान है। यदि दी गई झूठी जानकारी किसी सामान्य विषय से संबंधित है, तो दोषी व्यक्ति को छह महीने तक के साधारण कारावास (Imprisonment), ₹3000 तक के जुर्माने, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।