बुलंदशहर के जुनैदपुर में जातीय तनाव यादव समुदाय ने गांव के प्रवेश द्वार पर लगाया जाति का बोर्ड, दलितों ने किया कड़ा विरोध

Bulandshahr Yadav community installed caste board
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Bulandshahr Caste Discrimination: बीते दिन उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के जुनैदपुर जिले (Junaidpur district) से एक चौंकाने वाली खबर आई है, जहां गांव में जातिगत तनाव पैदा हो गया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब यादव समुदाय ने गांव के प्रवेश द्वार पर जाति का बोर्ड लगाने का फैसला किया। दलित समुदाय ने इसका विरोध किया। वही जब स्थानीय पुलिस को इस घटना की जानकारी दी गई तो स्थिति और भी गंभीर हो गई। तो देखिए, तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं।

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दलित समुदाय (Dalit Community) का कड़ा विरोध

हाल ही में जुनेदपुर (Junaidpur) से एक विवाद खड़ा हुआ है, जहां यादव समुदाय (Yadav Community) के लोगों ने गांव के मुख्य द्वार पर जाति का बोर्ड लगा दिया था। बोर्ड पर लिखा था “यदुवंशी गांव” – “जुनेदपुर अहीर रेजिमेंट का हक है हमारा”। इसके बाद गांव के दलित समुदाय (Dalit Community) ने इस बोर्ड पर आपत्ति जताई। उनका कहना था कि गांव की कुल आबादी में से सिर्फ़ 35% आबादी अहीर समुदाय की है, जबकि 65% आबादी अन्य जातियों की है। इस पर यादव समुदाय के लोग भी इकट्ठा हो गए और पंचायत करके बोर्ड का समर्थन करने लगे, जिससे विवाद और बढ़ गया। आपको बात दें, गांव में यह सांप्रदायिक तनाव गहराता ही जा रहा था कि सूचना मिलने पर स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और घटना का संज्ञान लेते हुए मामले की तत्काल जांच शुरू कर दी।

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यादव समाज की पंचायत

विवाद बढ़ने के बाद दलितों ने पुलिस से शिकायत करते हुए कहा कि उनकी जान-माल को खतरा है। जिसके बाद पुलिस प्रशासन ने बोर्ड को उखाड़कर थाने ले आई। पुलिस ने यादवों से ऐसा बोर्ड न लगाने को कहा और दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की, इसके बावजूद दूसरे पक्ष की ओर से दोबारा बोर्ड लगा दिया गया और पंचायत बुलाई गई, जिसमें सपा नेता समेत आसपास के गांवों से यादव समाज के लोग जुटे।

इस घटना ने गांव में तनाव को और बढ़ा दिया है। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए 12 लोगों को हिरासत में लिया और उनके खिलाफ शांति भंग करने का मामला दर्ज किया। इनमें कुलदीप यादव, कपिल यादव, बबलू यादव, नरेंद्र सिंह यादव और जगत सिंह यादव जैसे नाम शामिल हैं, जिन पर दलित समुदाय को डराने और गांव में अशांति फैलाने का आरोप है। यह घटना बुलंदशहर में जाति संघर्ष का एक और उदाहरण है, जहां जाति पहचान को लेकर अस्थिरता व्याप्त है। प्रशासन अब स्थिति को नियंत्रित करने और किसी भी संभावित संघर्ष को रोकने की कोशिश कर रहा है।

 

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