Mathura dalit wedding controversy: हाल ही में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मथुरा (Mathura) से एक हैरान कर देने वाली खबर आई है, जहां दलित दूल्हे की घोड़चढ़ी के दौरान ऊंची जाति के ठाकुर समुदाय के लोगों ने जमकर हंगामा किया. यहां तक कि बाबा साहब के गाने बजाने पर दलित दूल्हे और बारातियों की पिटाई कर दी गई, जिसमें कई लोग बुरी तरह घायल हो गए. तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारें में विस्तार से बताते है.
ठाकुरों ने दलित की दुल्हे की बारात पर हमला
दूसरी खबर भी उत्तर प्रदेश से ही है, जहां दलित नरक की जिंदगी जी रहे हैं…इस राज्य में मनुवादी, दलितों को प्रताड़ित करने और उनकी खुशियों को भंग करने का कोई न कोई मौका ढूंढ लेते हैं. अब तक दलितों की बारात में दूल्हे के घोड़ी चढ़ने पर बबाल करने वाले मनुवाद की बीमारी से ग्रस्त ठाकुरों को तो अब बाबा साहेब अंबेडकर (Baba Saheb Ambedkar) के लिए बजाए जाने वाले गाने से भी परेशानी होने लगी है.
मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मथुरा (Mathura) के जमुनापार (Jamunapaar) डहरुआ (Dahrua) निवासी सुनहरी लाल के पुत्रों राम और सौरभ की दाऊजी के निकट एक गांव की युवतियों से शादी तय हुई थी. शनिवार शाम को बारात जाने से पहले गांव में घुड़चढ़ी के दौरान डीजे बज रहा था और डीजे से बाबा साहेब का गाना बज रहा था. घुड़चढ़ी जब समाप्त होने को थी, तभी सवर्ण समाज के कुछ युवकों ने डीजे बजाने का विरोध करते हुए डीजे ना बजाने को कहा. इसे लेकर कहा सुनी हुई..फिर क्या था ये उच्च जाति के लोगों को नागवार गुजरा और उन्होंने उसे बंद करने को लेकर मारपीट शुरू कर दी. ठाकुरों ने बारात पर ईंट पत्थर फेंकने शुरू कर दिए, जिसमें कई लोग घायल हो गए.
पुलिस मौजूदगी में निकली गयी बारात
हालांकि, मौके पर पुलिस पहुंच गई और इस लड़ाई को शांत कराया. पुलिस ने अपना मौजूदगी में ही बारात निकलवाई. जिसके बाद परिवार ने इस घटना की शिकायत स्थनीय थाने में जाकर दर्ज करवाई और बताया किस तरह पीड़ित परिवार पर हमला हुआ वही इस घटना में देवेन्द्र की पुत्री सलोनी को भी चोट आई है. दूसरी और पुलिस मामले की जाँच कर रही है. इसके अलवा सीओ (CO) संदीप सिंह ने बताया डीजे बाजने को लेकर विवाद शुरू हुआ था. वही पुलिस ने कहा जल्दी ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जायेगा और सख्त से सख्त करवाई की जाएगी.
आपको बता दें, यह घटना फिर एक बार जातीय तनाव और असहिष्णुता के मुद्दे को चर्चा में ले आई है. सामाजिक संगठनों और दलित समुदाय (Dalit community) ने घटना की निंदा करते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है. स्थानीय प्रशासन पर भी घटना को समय रहते रोकने में विफल रहने के आरोप लगे हैं.