दो प्रधानों की लड़ाई में फंसी दलित बस्ती, 500 लोगों की जिंदगी खतरे में

Dalit basti, Ajamgarh latest news
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No development in Dalit colony: हाल ही में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है. जहाँ ग्राम पंचायत के दो प्रधानों के बीच झगड़े के कारण, एक दलित बस्ती में विकास कार्य रुक गया है. इस बस्ती में लगभग 500 लोग रहते हैं, जिनके जीवन पर इस झगड़े का नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इस समस्या का अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है, जिससे स्थानीय लोगों में असंतोष बढ़ रहा है। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं।

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जातिगत राजनीति के कारण गंदगी में जीने को मजबूर

संविधान में जब बराबरी की बात की होती है तो सार्वजनिक रूप से सामाजिक और जातिगत बराबरी की बात होती है, लेकिन केवल संविधान का कानून प्रत्यक्ष लोगो पर चलता है उनकी सोच पर नहीं भले ही देश कितनी भी तरक्की कर लें, लेकिन जातिवाद की बेड़िया मनुवादियों लोगों  की सोच पर इस कदर हावी है कि वो दलितो को इंसान तक समझना नहीं चाहते है। फिर भला बराबरी कहां से होगी ऐसा ही एक दलित उत्पीड़न मामला उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से सामने आया है…जहां एक दलित बस्ती में रहने वाले 500 लोग जातिगत राजनीति के कारण गंदगी में जीने को मजबूर है।

दरअसल आजमगढ़ के निजामाबाद के मोहम्मदपुर और रानी की सराय ब्लॉक के आने के कारण दलित बस्ती के लोगो को सरकारी सुविधाओं से दूर कर दिया गया। ये दलित बस्ती जिसमें करीब 60 परिवार रहते है, जिसके करीब 500 लोग है। असल में असीलपुर और फरिहा ग्राम सभा के बीच पड़ता है, जिसके कारण दोनो सभाओं के प्रधानों के बीच अपने अपने हिस्से को लेकर विवाद होता रहता है, और नतीजा दलितों को भुगतना पड़ रहा है। दलित बस्ती में लोगो के लिए बेसिक सरकारी सुविदाये तक नहीं दी जा रही है। स्थानीय लोगो के मुताबिक दलित बस्ती में राजनीति के चक्कर में पानी निकासी का, शौच की कोई व्यवस्था ही नही है।

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सरकारी सुविधाओं की कमी 

बारिश के दिनों में तो घरों में पानी घुस जाता है, सड़को पर लोगो का चलना तक दूभर हो जाता है, ऐसी बस्ती जहां जानवर तक नहीं रहना चाहते है वहां दलितों को अपना जीवन जीना पड़ रहा है। लोगो का कहना है कति उन्होंने सरकार से भी कई बार मदद की गुहार लगाई है लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। दलित इस गंदगी और बीमारी के घर में रहने को मजबूर है।

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