Jharkhand News: हाल ही में झारखंड से एक हैरान कर देने वाली खबर आई है, जहां दलित परिवार एक साल से भी ज्यादा समय से दूसरों के घरों में शरणार्थी बनकर रह रहा है, न तो उन्हें खाना मिल रहा है और न ही रहने के लिए उचित जगह, जबकि वे वादे के मुताबिक घर का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन उनके पास अभी भी अपना घर नहीं है और अब स्थिति इतनी खराब हो गई है कि परिवार को अब खाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते है।
दलित परिवार अपने ही मकान को मोहताज
बरवाडीह प्रखंड में अधिकारियों को जरूरतमंदों को आवास मुहैया कराने में कोई दिलचस्पी नहीं है। चाहे वह बीडीओ हो या पंचायत के मुखिया। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले साल सितंबर में भारी बारिश के कारण रामजन्म सिंह का घर गिर गया था। आपको बता दें कि इस हादसे में परिवार बच गया, लेकिन घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। तब से रामजन्म सिंह, पत्नी मनीता देवी और तीन बच्चे टूटी झोपड़ी में हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत आवास के लिए पात्र होने के बावजूद परिवार को अभी तक कोई सहायता नहीं मिली है। उनकी मौजूदा स्थिति बेहद खराब है, उनके सिर पर कोई पक्की छत नहीं है और वे भोजन जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी न तो सरकारी सहायता मिली है और न ही आवास योजना के तहत कोई लाभ मिला है।
आपको बता दें, लाचार पीड़ित परिवार पिछले एक साल से प्लास्टिक की छत बनाकर किसी तरह ठंड, गर्मी और बरसात को झेल रहा है। अब मानसून के आगमन से परेशानी और बढ़ गई है। रामजन्म सिंह क्षतिग्रस्त मकान की छत पर प्लास्टिक लगाकर किसी तरह अपने बच्चों को बारिश से बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
वहीं, गरीब दंपत्ति का आरोप है कि मैंने अपना आवेदन पत्र बीडीओ, सीओ और छिपादोहर पंचायत के मुखिया को दिया है। लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी कोई पूछने नहीं आया और ना ही मुझे आवास मिला है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि सरकारी सिस्टम की मनमानी के कारण यह परिवार आज भी खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर है।