Uttar Pradesh: कौशांबी में दलित नाबालिग लड़की गैंगरेप का शिकार, आरोपी फरार

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Kaushambi: उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में हाल ही में एक दलित नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। इस मामले में पुलिस ने पीड़िता के पिता की शिकायत के आधार पर तीन युवकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है और अब आरोपियों की तलाश कर रही है। तो चलिए आपको इस लेख में पुरे मामले के बारे में बताते है।

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जानें क्या है पूरा मामला?

देश में दलित समुदाय की नाबालिग लड़कियों के खिलाफ हिंसा और यौन उत्पीड़न की घटनाएं सामने आती रहती हैं। वही पिछले कुछ समय से इन मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखि जा रही है वही अब ऐसा ही एक मामला कौशाम्बी के कोखराज थाना क्षेत्र में नाबालिग दलित लड़की से सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया है। पड़ोसी शैलेंद्र ने अपने दो दोस्तों शेरू उर्फ ​​नसर और एक अज्ञात व्यक्ति के साथ मिलकर लड़की का अपहरण कर लिया। आरोपी उसे कानपुर ले गए। वहां तीनों ने आम के बाग में उसके साथ दुष्कर्म किया।

जब पीडिता ने विरोध किया तो आरोपियों ने पीड़िता के साथ मारपीट की उसे जातिसूचक गलिय भी दी। वही अगले दिन पीड़िता किसी तरह वहां से भाग निकली और घर पहुंची। उसने पूरी घटना अपने पिता को बताई। जिसके बाद पीड़ित पिता शिकायत लेकर स्थानीय  थाने पहुंचे और इस घटना की पूरी जानकारी देते हुए शिकायत दर्ज करवाई।

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पॉक्सो एक्ट और एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज

एडिशनल एसपी राजेश कुमार सिंह ने बताया कि घटना 24 अप्रैल की है। आरोपी 16 वर्षीय पीड़िता को 25 अप्रैल को थाने के बाहर छोड़कर चले गए। पीड़िता के पिता की शिकायत पर तीनों आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप, पॉक्सो एक्ट और एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने टीम गठित कर दी है।

आपको बता दें, ऐसे मामलों में त्वरित और प्रभावी कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि दोषियों को सजा मिले और पीड़ितों को न्याय मिले। साथ ही, समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और पितृसत्तात्मक मानसिकता को बदलने के लिए भी प्रयास किए जाने की आवश्यकता है, जो ऐसे अपराधों को बढ़ावा देते हैं।

दलित नाबालिग लड़कियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कई कानून

  • अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 – यह अधिनियम दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अत्याचारों को रोकने और उन्हें दंडित करने के लिए बनाया गया है। इसमें यौन उत्पीड़न और हिंसा के अपराध भी शामिल हैं।
  • यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 – यह अधिनियम बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए बनाया गया है और नाबालिग लड़कियों पर यौन हमले के लिए कठोर दंड का प्रावधान करता है।
  • भारतीय न्याय संहिता (BNS) – BNS में बलात्कार, अपहरण और अन्य संबंधित अपराधों के लिए प्रावधान हैं जो दलित नाबालिग लड़कियों के खिलाफ किए जा सकते हैं।

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