Uttar Pradesh Crime: हाल ही में उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर के अखंडगढ़ थाना क्षेत्र से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहाँ कुछ लोगों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। इन लोगों पर एक व्यक्ति को मोटरसाइकिल से नीचे खींचने, जाति-आधारित गालियाँ देने और उसके साथ मारपीट करने का आरोप है। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते है।
मोटरसाइकिल से नीचे खींचकर गिराया
बीते दिन सुल्तानपुर (Sultanpur) के अखंडगढ़ थाना क्षेत्र में दलित युवक के साथ मारपीट का मामला सामने आया है। मोकलपुर गांव (Mokalpur village) निवासी शीतला प्रसाद ने सोमवार को अपने ही गांव के तीन लोगों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट (SC/ST Act) के तहत केस दर्ज कराया है। पीड़ित का कहना है कि वह सुबह 10:30 AM बजे मोटरसाइकिल से बाजार जा रहा था। तभी अचानक से उसी गांव के राजमणि यादव ने अपने दो बेटों के साथ उसे रोक लिया और बेह्रेह्मी से आरोपियों ने लात-घूंसों और लाठी-डंडों से उसकी पिटाई कर दी। इतना ही नहीं उन लोगो ने जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए गाली-गलौज की और जान से मारने की धमकी दी।
जिसके बाद पीड़ित परिवार ने तुरंत स्थानीय थाने में जाकर शिकायत दर्ज कराई और बताया कि किस तरह से पीड़ित पर हमला किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्थानीय थाना प्रभारी दीपक कुशवाह ने बताया कि शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम रवाना कर दी गई है। दूसरे पक्ष से भी एक व्यक्ति घायल हुआ है, जिसे परिजन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए हैं। इसके अलावा थाना प्रभारी दीपक कुशवाह ने पीड़ित परिवार को आश्वासन दिया है कि आरोपियों को जल्द ही पकड़ लिया जाएगा और सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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दलित समुदाय के खिलाफ हो रहे अत्याचार
आपको बता दें कि यह पहली घटना नहीं है, इससे पहले भी कई ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं जहां दलितों पर अत्याचार और क्रूरता की गई है। दलित समुदाय के खिलाफ हो रहे अत्याचार आज भी भारत की सामाजिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। आज भी कई क्षेत्रों में भेदभाव, हिंसा, सामाजिक बहिष्कार और आर्थिक शोषण जैसी घटनाएं जारी हैं। शिक्षा, रोजगार और न्याय तक समान पहुंच में बाधाएं बनी हुई हैं, जो दलितों के विकास को सीमित करती हैं। कानून और संवैधानिक अधिकार होने के बावजूद जमीनी स्तर पर उनका क्रियान्वयन कमजोर है। जब तक सामाजिक मानसिकता में गहरा बदलाव नहीं आएगा, तब तक यह अन्याय पूरी तरह खत्म नहीं होगा।