Dalit community protest in Begusarai: हाल ही में बिहार (Bihar) के बेगूसराय जिले (Begusarai district) से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है. जहाँ बीते रविवार भूमिहीन दलित परिवारों (Dalit families) ने जीवन यापन के लिए धरना प्रदर्शन किया. बैठक की अध्यक्षता गोरेलाल तांती ने की जहाँ 200 गरीब दलित, आदिवासी और पिछड़े समुदाय के लोगो ने सरकारी अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि उन्हें उनका घर छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है. तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं.
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दलित परिवार का धरना प्रदर्शन
बाबा साहब ने भारतीय संविधान लिखते समय जिस भारत की कल्पना की थी, वो भारत शायद अब कल्पना मात्र ही बन गया। बाबा साहेब चाहते तो थे एक जातिगत भेदभाव से आजाद भारत बने, लेकिन आज के हालात कहते है कि देश मे जातिगत भेदभाव न केवल बढ़ा, बल्कि सरेआम उनके साथ उत्पीड़न की खबरें बेहद आम है. ऐसा ही दलित उत्पीड़न का एक मामला बिहार से सामने आया है. जहां भूमिहीन दलित परिवारों को अपने जीवन यापन के लिए अब सामूहिक धरने पर बैठने पड़ रहा है.
घर छोड़ने के लिए मजबूर
दरअसल, यह खबर बिहार (Bihar) के बेगूसराय (Begusarai) जिले के डंडारी प्रखंड (Dandari Block) के कटरमाला पंचायत के बलहा (Balha) गांव की है, जहां करीब 200 गरीब दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों ने सरकारी अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि उन्हें उनका घर छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है. जबकि उनके पास, उनके घर के अलावा कुछ नहीं है. सरकारी फरमान को लेकर दलितों में डर का माहौल है.
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दलितों के अधिकारों को छीनने की कोशिश
वहीं, इस घटना के सामने आने के बाद भाकपा माले के प्रखंड सचिव राम कुमार ने स्थानीय सांसद गिरिराज सिंह पर तंज कसते हुए कहा कि राज्य में बीजेपी (BJP), आरएसएस (RRS) सरकार दलितों के अधिकारों को छीनने की कोशिश कर रही है, दलितों के लिए उन्होंने मांग की है कि जिन दलितों ने उन्हें वोट देकर जिताया है, उनके लिए कम से कम सभी भूमिहीन परिवारों को 5 डिसमिल जमीन का बासगीत पर्चा मुहैया कराया जाए, ताकि वो उन पर खेती करके अपना जीवनयापन कर सकें.
इसके अलवा उन्होंने दलितों को आवास की सुविधा देने और स्वरोजगार योजना के तहत हर दलित परिवार को 2 लाख रुपये की सहायता देने की मांग की है. भाकपा माले के प्रखंड सचिव ने यह भी कहा कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी जाती तो वो सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन करेंगे. अब देखना ये होगा की कब तक दलित समाज के लोगो ये सब चीजे मुहिया होती है.