Dewas News in Hindi: नवविवाहित दलित जोड़े को मंदिर में जानें से रोका लेकिन पुलिसिया एक्शन की होने लगी तारीफ

Dewas dalit mandir Case, Dalit Couple
Source: Google

Dewas: हाल ही में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के देवास (Dewas) जिले के बेहरी गांव (Behri Village) से एक खबर आई है जहां एक नवविवाहित दलित जोड़े को राधा-कृष्ण (Radha-Krishna Temple) मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया गया। जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में तुरंत कार्रवाई करते हुए दलित जोड़े को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दे दी, जिसे देखकर गांव के लोग हैरान रह गए और इस कार्य की खूब तारीफ भी कर रहे हैं, तो चलिए इस लेख में आपको पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं।

और पढ़े: Madhya Pradesh: सवर्णों ने दलित दूल्हे को घोड़ी पर बैठने से रोका, पुलिस ने किया कुछ ऐसा कि होने लगी तारीफ

दलित जोड़े को मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं 

बीते दिन देवास (Dewas) जिले के बागली थाना (Bagli Police Station) क्षेत्र के बेहरी गांव में डांगी समाज का प्रसिद्ध राधा-कृष्ण मंदिर (Radha-Krishna Temple) है। यह एक मंदिर निजी है। दलित समाज  के एक दूल्हा-दुल्हन (Bride and groom from the Dalit community) जब मंदिर में दर्शन के लिए गए तो उन्हें ऐसा करने से रोक दिया गया। जिसके बाद दलित जोड़े (Dalit couples) ने इसकी शिकायत बागली थाने में दर्ज कराई। इसके बाद थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे और मंदिर समिति के सदस्यों को समझाया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, थाना प्रभारी ने उन्हें समझाया कि यदि मंदिर में कोई जानवर मर जाता है, तो सफाई के लिए इसी समाज के लोगों को बुलाया जाता है, लेकिन उन्हें दर्शन करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने आपसी भाईचारा बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। पुलिस की इस त्वरित और संवेदनशील कार्रवाई की इलाके में सराहना हो रही है। लोगों का कहना है कि पुलिस ने समय रहते हस्तक्षेप कर सामाजिक सौहार्द बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई है। आखिरकार पुलिस की समझाइश के बाद दलित दंपत्ति को मंदिर में प्रवेश की इजाजत मिल गई।

और पढ़े: जातिवाद की हदें पार दलित जोड़े को मंदिर में प्रवेश से रोका, पुजारी गिरफ्तार

दलितों के साथ अत्याचार 

समाज में दलितों के साथ भेदभाव और ऐसी घटनाएं दर्शाती हैं कि जातिगत पूर्वाग्रह अभी भी गहराई से मौजूद हैं और उन्हें पूरी तरह से खत्म करने के लिए बहुत काम किए जाने की जरूरत है। जैसे सामाजिक मानसिकता में बदलाव, प्रशासन और कानून, शिक्षा और जागरूकता, सामुदायिक प्रयास आदि।

आपको बता दें, नवविवाहित जोड़े को मंदिर में प्रवेश करने से रोकना न केवल उनके व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह हमारे समाज की प्रगति और समावेशिता पर भी एक धब्बा है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि हमें निरंतर प्रयास करते रहना होगा ताकि एक ऐसा समाज बनाया जा सके जहां जाति, धर्म या लिंग के आधार पर कोई भेदभाव न हो और सभी को समान अवसर और सम्मान मिले।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *