Rape of dalit-tribal daughters: हाल ही में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) से दलित महिलाओं पर अत्याचार (atrocities on dalit women) को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है. जहाँ मध्य प्रदेश में महिलाओं, खासकर दलित और आदिवासी समुदाय (Dalit and tribal communities) की महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं. विधानसभा में पेश की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 2022 से 2024 के बीच दलित और आदिवासी समुदाय की महिलाओं के खिलाफ अपराधों के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं.
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दलित और आदिवासी महिलाओं के साथ दुष्कर्म
बीते दिन SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग की दलितों से जुड़ी एक बड़ी खबर मध्य प्रदेश से सामने आई है जहाँ , जो हर किसी को झकझोर रही है. दरअसल, मध्य प्रदेश विधानसभा में दलित और आदिवासी महिलाओं के साथ दुष्कर्म को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई, जिसने सबको हिला कर रख दिया. मानसून सत्र के कार्यवाही के दौरान यह रिपोर्ट सामने आई, जिसमें बताया गया कि साल 2022 से 2024 के बीच राज्य में कुल 7418 अनुसूचित जाति यानी औसतन हर दिन लगभग सात दलित या आदिवासी बेटियों के साथ बलात्कार हुआ. इसी अवधि में 558 महिलाओं की हत्या की गई और 338 महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ.
इसमें घरेलू हिंसा भी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है, जहाँ कम से कम 1,906 दलित और आदिवासी महिलाएँ घरेलू हिंसा का सामना कर रही हैं। इससे पता चलता है कि हर दिन लगभग दो महिलाओं को अपने ही घर में हिंसा का सामना करना पड़ता है. छेड़छाड़ के 5,983 मामले दर्ज किए गए, यानी हर दिन लगभग पाँच दलित और आदिवासी महिलाओं को यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा.
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बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा नाकाम
मीडिया रिपोर्ट्स की मिली जानकारी के अनुसार ये आंकड़े राज्य में दलित उत्पीड़न की पराकाष्ठा को दर्शा रहे हैं. ये आकड़े बता रहे हैं कि वाकई में बीजेपी की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं और सबका साथ सबका विकास जैसे नारे कितने खोखले हैं और जमीन स्तर तक सत्ता की पहुंच कितनी नगण्य है.
वही विपक्षी विधायक आरिफ मसूद के एक प्रश्न के उत्तर में, सरकार ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में दलित और आदिवासी महिलाओं के विरुद्ध कुल 44,978 अपराध दर्ज किए गए।