Lawyer filling fake case : बीते दिन उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के लखनऊ (Lucknow) से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहाँ एक दलित महिला की पहचान का दुरुपयोग करके फर्जी (Fake) पहचान पत्र बनवाने और धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराने के आरोप में एक वकील को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। अदालत (Court) ने वकील (Lawyer) पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इसके अलावा, वकील के खिलाफ आईपीसी (IPC) की धारा 419, 420 और 468 के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।
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दलित महिला की पहचान का दुरुपयोग
भारत आज एक ऐसे दौर से गुज़र रहा है जहां इंसान की पहचान उसकी मेहनत, योग्यता या इंसानियत से नहीं बल्कि उसकी जाति से की जाने लगी है। समाज में ऐसी स्थिति बन गई है कि चाहे कोई उच्च पद पर हो या साधारण किसान, यदि वह दलित या पिछड़ी जाति से है तो उसे बराबरी और सम्मान से वंचित किया जाता है। यह भेदभाव केवल सड़क पर ही नहीं बल्कि सरकारी दफ्तरों और संस्थानों तक में दिखाई देता है। ऐसा ही एक मामला लखनऊ से सामने आया, जहां दलित महिला की पहचान का दुरुपयोग करना एक वकील परमानंद गुप्ता को काफी भारी पड़ गया है।
आजीवन कारावाज की सजा सुनाई
दरअसल, दलित महिला की पहचान का फायदा उठा कर 31 फर्जी मुकादमे कराने के मामले में लखनऊ की विशेष अदालत ने वकील परनानंद को आजीवन कारावाज की सजा सुनाई और साथ ही 5.10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. ध्यान देने वाली बात है कि वकील परमानंद ने पुरानी दुश्मनी निकालने के लिए अरविंद यादव और उनके परिवार पर कई फर्जी मुकदमें दर्ज कराये थे वही, विशेष लोक अभियोजक अरविंद मिश्रा ने बताया कि गुप्ता ने रावत के साथ मिलीभगत करके अपने नाम पर कम से कम 18 और रावत के ज़रिए 11 मामले दर्ज करवाए थे।
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सीबीआई (CBI) जांच के आदेश
इनमें से कई मामले उनके प्रतिद्वंद्वी अरविंद यादव और उनके परिवार के खिलाफ संपत्ति विवाद से जुड़े थे। उन्होंने बताया कि इन झूठे मामलों में बलात्कार और छेड़छाड़ के आरोप भी शामिल थे।जब इस केस की सुनवाई हुई तो कोर्ट ने कई आरोपों पर सवाल उठाये और 5 मार्च 2025 को सीबीआई (CBI) जांच के आदेश दिए।
हालांकि, सीबीआई जांच के बाद 4 अगस्त को दलित महिला पूजा रावत कोर्ट पहुंच गई, जिनके नाम का गलत इस्तेमाल किया गया था. दलित महिला ने कोर्ट के सामने अपने झूठ को स्वीकार करते हुए कहा कि जब ये सारी घटनाएं हुई वो वहां मौजूद ही नहीं थी. उन्होंने ये भी स्वीकार किया कि उन्हें मजबूर करके झूठे आरोप लगाने के लिए कहा गया था, जिसके बाद कोर्ट ने उनके वकील परमानंद गुप्ता को मुख्यारोपी बनाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।