Caste Discrimination: हाल ही में मध्य प्रदेश के ग्वालियर से एक चौकाने वाला मामला सामने जहाँ एक दलित अधिकारी को पिछले एक साल से दलित अधिकारी को जमीन पर बैठकर काम करना पड़ रहा है. इतना ही नहीं जब दलित अधिकारी ने कुर्सी टेबल की मांग की तो उसे ये बोल दिया की फण्ड के अप्लाई किया है. जब फण्ड आ जायेगा तब कुर्सी टेबल दे दी जाएगी. तो चलिए आपको इस लेख में आपको पूरे मामले के बारें में विस्तार से बताते हैं.
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दलित अधिकारी को कुर्सी नहीं
भारत को हम सब बराबरी, आज़ादी और लोकतंत्र की धरती कहते हैं लेकिन क्या सचमुच हमारा समाज बराबरी की मिसाल बन पाया है? आज भी हमारे देश में दलित समुदाय एक ऐसा समुदाय है, जिसे संविधान ने सम्मान और अधिकार तो दिए लेकिन समाज ने उसे उसका हक़ नहीं दिया. जब चुनाव आते हैं तो राजनीतिक पार्टियां दलितों के नाम पर नारे लगाती हैं, वोट मांगती हैं, बड़ी-बड़ी बातें करती हैं…लेकिन जब असली हक़ और न्याय देने की बारी आती है तो वही दलित कहीं गुमनाम कर दिए जाते हैं…उनकी आवाज़ दबा दी जाती है. जी हाँ ऐसा ही एक दलित उत्पीड़न मामला मध्य प्रदेश से सामने आया है, जहां केवल दलित होने के कारण एक सरकारी अधिकारी को पिछले 1 साल से जमीन पर बैठकर काम करना पड़ रहा है.
वहां बाकि सभी काम करने वाले अधिकारियों को कुर्सी टेबल मुहैया कराया गया है लेकिन दलित अधिकारी को पिछले 1 साल से नीचे ही बैठकर काम करना पड़ा रहा है. जी हां, ये खबर है एमपी के ग्वालियर की, जहां मध्य प्रदेश भवन विकास निगम में पिछले एक साल से सहायक महा प्रबंधक के पद पर कार्यरत सतीश डोंगरे को जातिगत भेदभाव का शिकार होना पड़ा है.
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टेबल कुर्सी मंगाने के लिए पैसे नहीं
विभाग में सबके पास टेबल कुर्सी है लेकिन सतीश डोंगरे को चटाई बिछा कर काम करना पड़ रहा है. सतीश ने कई बार टेबल कुर्सी की मांग की है लेकिन उसे अनसुना कर दिया जाता है. वही इस मामले को लेकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारी (Senior officials) अतिरिक्त महाप्रबंधक अच्छेलाल अहिरवार (General Manager Achhelal Ahirwar) ने जातिगत भेदभाव को लेकर बेहद ही हैरान करने वाला जवाब दिया है.
उन्होंने मामले को घुमाते हुए कहा कि फंड के लिए अप्लाई किया है, जैसे ही आएगा सतीश को टेबल कुर्सी दे दी जाएगी. हैरानी की बात है कि सरकारी योजनाओं (Government schemes) के नाम पर हजारों रूपय के ड्रायफ्रूट्स खाने वाले सरकारी दफ्तरों में एक टेबल कुर्सी मंगाने के लिए पैसे नहीं हैं. मामला खुलने के बाद अब ये देखना होगा कि इसमें क्या एक्शन लिया जाता है.