Dalit persecution: हाल ही में हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के हमीरपुर (Hamirpur) से एक दिल दहला देने वाली खबर आई है। जहाँ एक दलित युवक (Dalit youth) की मौत के बाद मनुवादी सोच वाले कुछ लोगों ने उसका अंतिम संस्कार नहीं होने दिया। जिसके बाद मृतक के परिवार को कई घंटों तक परेशानी का सामना करना पड़ा, फिर किसी तरह मध्यस्थता करके पुलिस ने मृतक दलित युवक का अंतिम संस्कार करवाया और नया श्मशान घाट (crematorium)बनाने की बात भी कही। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं.
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दलित उत्पीड़न और जातिगत भेदभाव की पराकाष्ठा
दलितों के साथ जातिगत भेदभाव आज से नहीं, बल्कि कई सालों से चला आ रहा है. आज भी यह पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है. आज भी दलितों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है. मनुवादी सोच वाले लोग उन्हें आगे बढ़ने नहीं देते. हर कदम पर उनके सामने रोड़ा बनकर खड़े रहते हैं. जिसके कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसा ही एक मामला हिमाचल के हमीरपुर से सामने आया है. जहाँ जहां बरसर गांव में एक दलित की मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए उसके पूरे परिवार को प्रताड़ित होना पड़ा. जातिगत मानसिकता से ग्रस्त मनुवादियों ने उस दलित व्यक्ति का अंतिम संस्कार श्मशान में करने देने से इंकार कर दिया.
दरअसल, ये घटना कदसाई पंचायत के भेवड़ सहेली श्मशान घाट का है जो कि बरसर गांव में पड़ता है. लेकिन वहां के आसपास के सभी गांव वाले इसी श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करते है. पास के ही ननावां गांव में अनुसूचित जाति के लिए अलग से श्मशान घाट निर्धारित किया गया है लेकिन बारिश के कारण फिलहाल वह इस्तेमाल में नहीं है. ऐसे में दलित व्यक्ति की मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार के लिए उनका शव भेवड़ सहेली श्मशान में ले गए लेकिन मनुवादियों ने इसका विरोध करना शुरु कर दिया.
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दलित का अंतिम संस्कार कराया
कई घंटों तक शव का अंतिम संस्कार नहीं होने दिया गया, जिसके बाद प्रशासन और अधिकारियों ने हस्तक्षेप किया और दलित का अंतिम संस्कार कराया. उप विभागीय मजिस्ट्रेट राजेंद्र गौतम ने इस बात की पुष्टि की है कि दलित व्यक्ति का अंतिम संस्कार शांति से करवा दिया गया है. हालांकि, भविष्य में ऐसी घटना दोबारा न हो इसलिए जल्द से जल्द ननावां गांव में स्थाई श्मशान घाट बनाया जायेगा. इस घटना ने एक बार फिर सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किया की कब तक दलित समुदाय को इस तरह के जातिगत भेदभाव को झेलना पड़ेगा कब उन्हें समानता का अधिकार मिलेगा.