Caste discrimination: हाल ही में आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के श्री वेंकटेश्वर वेटेरनरी यूनिवर्सिटी (Sri Venkateswara Veterinary University) से मानवता को शर्मशार करने वाली खबर सामने आई है जहाँ एक दलित असिस्टेंट प्रोफेसर के साथ भेदभाव किया गया साथ ही उनकी कुर्सी भी खीच ली गयी. इतना ही पिछले 20 सालो से उनको वेतन भी पूरा नहीं दिया गया है. तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते है.
दलित असिस्टेंट प्रोफेसर के साथ भेदभाव
दलितों के साथ अत्यचार मारपीट उनके साथ जोर जबरदस्ती उनका हक़ मरना जैसी खबर हर रोज सामने आती है ऐसा ही एक मामला एनडीए शासित आंध्र प्रदेश की श्री वेंकटेश्वर वेटेरनरी यूनिवर्सिटी (Sri Venkateswara Veterinary University) के डेयरी टेक्नोलॉजी कॉलेज (Dairy Technology College) का है, जहां दलित समाज से आने वाले एक प्रोफेसर की कुर्सी छीन ली गई. ये शख्स आंध्र प्रदेश की SVV यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर (Assistant Professor) डॉ रवि वर्मा हैं. डॉ वर्मा दलित समाज (Dalit Community) से आते हैं.
वही दलित प्रोफेसर का आरोप है कि यूनिवर्सिटी (University) के डिपार्टमेंट (Department) ने उनकी कुर्सी हटा दी, जिसके विरोध में वे जमीन पर ही बैठकर काम करने लगे. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो डॉ वर्मा साल 2005 में बतौर कॉन्ट्रैक्ट असिस्टेंट प्रोफेसर अपॉइंट हुए थे. जिम्मेदारी उनकी यूनिवर्सिटी के रेगुलर असिस्टेंट प्रोफेसर के जितनी ही थी लेकिन कॉन्ट्रैक्ट पर होने के कारण उन्हें कम वेतन मिलता रहा.
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नहीं मिला पूरा कभी पूरा वेतन
हर 6 महीने पर उनका कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू होता रहा और ऐसे ही 5 साल निकल गए. मगर वह कॉन्ट्रैक्ट पर ही रहे. साल 2010 में UGC ने नियम लागू किया कि ‘समान काम के लिए समान वेतन’ दिया जाना चाहिए. मगर इस निर्देश के बाद भी डॉ वर्मा के वेतन में बदलाव नहीं हुआ. ऐसे में उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट (Andhra Pradesh High Court) में शिकायत की और कोर्ट ने 2024 में डॉ वर्मा के पक्ष में फैसला सुनाया और यूनिवर्सिटी को उन्हें समान वेतन देने का निर्देश दिया… मगर, यूनिवर्सिटी ने कहा कि डॉ वर्मा समान वेतन पाने के लिए योग्य नहीं हैं क्योंकि उन्होंने UGC NET परीक्षा क्वालिफाई नहीं की है और उनका चयन सेलेक्शन कमेटी ने नहीं किया है.
अक्टूबर 2024 में डॉ वर्मा ने यूनिवर्सिटी के VC से इस पूरे मामले की शिकायत की. उन्हें कार्रवाई का आश्वासन भी मिला, मगर अभी तक फाइल अटकी हुई है. वही हाल ही में ताजा मामला कुर्सी गायब का है…दरअसल, 19 जून को जब वो लीव पर थे वो एसोसिएट डीन डॉ रेड्डी ने उनकी कुर्सी ये कहकर हटवा दी कि वो किसी और डिपार्टमेंट की थी. उनकी जगह पर एक विजिटिंग चेयर लगा दी गई, जिसे डॉ शर्मा ने भेदभावपूर्ण बताया और वह नीचे ही बैठकर काम करने लगे. इस दलित प्रोफेसर ने राष्ट्रपति को चिठ्ठी लिखकर मदद की मांग की है.
इसके अलवा आपको बता दें, ऐसे मामले समाज भेदभाव की समस्या को उजगर करते है राज्य सरकार और केंद्र सरकार को इस तरह की घटनाओ के कड़े नियम लागू करने चाहिए ताकि कोई भी इस तरह की घटना को अंजाम ना दे पाए.