Dalit family got justice: हाल ही में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मैनपुरी (Mainpuri) से एक खबर आई है जहाँ करीब 17 साल बाद मैनपुरी की एक विशेष एससी/एसटी अदालत (SC-ST Court) ने बुधवार को दलित किसान (Dalit farmer) साहब सिंह हत्याकांड के मुख्य आरोपी आनंद कुमार (48) को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई. अदालत ने उस पर 30,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है. लेकिन सवाल यह है कि क्या भारत का कानून इतना लाचार है कि एक आरोपी को सजा मिलने में 17 साल लग गए? तो आइए इस लेख में आपको पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं.
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दलित किसान की निर्मम हत्या
बीते दिन उत्तर प्रदेश के मैनपुरी एक मामला सामने आया है. जहां भारत की लचर न्याय व्यवस्था का एक और नमूना देखने को मिला है. जहां केवल छेड़छाड़ का विरोध करने पर 17 साल पहले दबंगों ने एक दलित शख्स की हत्या कर दी थी. 17 सालों से इस दलित का परिवार न्याय की आश लगाए बैठा था. अब इस पीड़ित दलित परिवार को न्याय तो मिला है लेकिन न्याय देने में भारतीय न्यायपालिका ने 17 साल लगा दिए और इस बीच 2 आरोपियों की मौत भी हो गई.
दरअसल, 22 दिसंबर 2008 के दिन एक दलित युवक साहेब सिंह अपने बेटे अशोक सिंह के साथ खेतों से लौट रहे थे. तभी घात लगाकर बैठे आनंद कुमार, उसके पिता मुन्नालाल राय और चाचा हरि प्रकाश ने लाठियों और तेजधार हथियारों से दोनों बाप बेटे पर हमला कर दिया था. जिसके बाद गंभीर हालत में दोनों को अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन साहेब सिंह की मौत हो गई. लेकिन जब इस घटना का कारण सबको झकझोर गया. कारण यह था कि आरोपी आनन्द कुमार लगातार साहेब सिंह की बहु के साथ छेड़छाड़ करता था, जिसके खिलाफ साहेब सिंह ने पुलिस में कंप्लेन की थी.
17 साल बाद दलित परिवार को मिला इंसाफ
इसी का बदला लेने के लिए तीनों आरोपियों ने साहेब सिंह पर हमला कर दिया था, जिसमें उनकी मौत हो गई. इस मामले को IPC की धारा 302 (हत्या) और SC/ST एक्ट की धाराओं के तहत दर्ज किया गया था. पिछले 17 सालों से साहेब सिंह का परिवार न्याय का इंतजार कर रहा था. हैरानी की बात है कि ट्रायल के दौरान दो आरोपी मुन्नालाल राय और हरि प्रकाश की मौत भी हो चुकी है और अब 17 सालों के बाद आनंद कुमार को विशेष अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है और 30 हजार रूपये का जुर्माना लगाया है.
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