Karnataka Chamarajanagar District: दलित महिला के मिड डे मील बनाने पर भड़के ‘मनुवादी’! 21 छात्रों का नामांकन वापस, कर दिया सरकारी स्कूल का बहिष्कार

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Karnataka Chamarajanagar District: हाल ही में कर्नाटक (Karnataka) के चामराजनगर जिले (Chamarajanagar District) से एक चौंकाने वाली खबर आई है जहां एक दलित महिला द्वारा दिए गए मिड-डे मील के कारण 21 अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल से निकाल लिया है, जिसके बाद यह मामला चर्चा का विषय बन गया है। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते है।

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दलित महिला रसोइया के जातिगत भेदभाव

जातिगत भेदभाव एक ऐसी प्रथा है जो प्राचीन काल से चली आ रही है और इसको लेकर समाज में कई बदलाव भी हुए हैं, लेकिन आज भी कई राज्यों के गांवों में स्थिति जस की तस बनी हुई है। अक्सर किसी न किसी गांव से दलितों पर अत्याचार की खबरें आती रहती हैं, जहां उन्हें जातिगत भेदभाव का शिकार होना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला फिर सामने आया है, जहां कर्नाटक (Karnataka) के चामराजनगर जिले (Chamarajanagar District) के एक सरकारी स्कूल को बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि कुछ ऊंची जाति के अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल से निकाल लिया है। सिर्फ इसलिए क्योंकि स्कूल में मिड-डे मील बनाने वाली महिला दलित है।

मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार चामराजनगर तालुका (Chamarajanagar District) के होम्मा गांव (Homma Village) में दलित रसोइया पर आपत्ति जताने वाले 21 छात्रों को उनके अभिभावकों ने स्कूल से निकाल दिया है। दरअसल इस स्कूल में जब साल का नया सत्र शुरू हुआ था तो 22 बच्चों ने अपना नामांकन कराया था, लेकिन जब अभिभावकों को पता चला कि स्कूल में मिड-डे मील (Mid-Day Meal) बनाने के लिए नियुक्त महिला दलित जाति से है तो 21 छात्रों को उनके अभिभावकों ने स्कूल जाने से रोक दिया है। उनका कहना है कि वे अपने बच्चों का दाखिला इस स्कूल से वापस ले लेंगे। आपको बता दें कि अब स्कूल में सिर्फ एक बच्चा ही बचा है।

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स्कूल अधिकारीयो से परिजनों को समझाया

इस घटना को लेकर स्कूल अधिकारी ने इस मामले की जाँच की और कई बड़े अधिकारियो को इस मामले के बारे में बताया जहाँ मामले की गह्नाता से जाँच हो रही हैं और स्कूल के अध्यापक अभिभावकों को सलाह देने का प्रयास कर रहे हैं कि वे छात्रों को स्कूल वापस लाएँ और दलित रसोइया को बिना किसी भेदभाव के अपना काम जारी रखने दें। यह घटना जातिगत भेदभाव से निपटने और भारत में सभी बच्चों के लिए शिक्षा तक समान पहुँच सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयासों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है।

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