Lucknow: दलित उत्पीड़न के खिलाफ भाकपा-माले का हल्ला बोल मार्च

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CPI(ML) protest Lucknow: हाल ही में उत्तर प्रदेश के लखनऊ (Lucknow) से एक खबर सामने आई है. जहाँ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (Marxist-Leninist) लिबरेशन (CPI(ML) लिबरेशन), जिसे आमतौर पर CPI (ML) के नाम से जाना जाता है, दलितों पर हो रहे उत्पीड़न के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन और मार्च निकाल रही है। बीते कुछ दिनों में भी ऐसे कई विरोध प्रदर्शन देखने को मिले हैं। वही अब भाकपा (माले) ने उतर प्रदेश के लखन्ऊ में बढ़ रहे दलित उत्पीड़न के मामले को लेकर मार्च निकला है। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते है।

प्रमुख मुद्दे और हालिया विरोध प्रदर्शन

कल भाकपा-माले कार्यकर्ताओं (Yesterday CPI-M workers) ने स्वास्थ्य भवन चौराहे से कलेक्ट्रेट तक मार्च निकाला. ज़िला प्रभारी रमेश सेंगर के नेतृत्व में पार्टी ने मुख्यमंत्री को पाँच सूत्री ज्ञापन सौंपा. करीब एक बजे सभी लोग प्रदर्शन करते हुए जिलाधिकारी कार्यालय (District Collectorate Office) के पास पहुंचे। इस दौरान भाकपा(माले) ने प्रयागराज (Prayagraj) के करछना में हुई हिंसा और उसके बाद दलितों पर हुए अत्याचारों के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किए हैं। इन विरोध प्रदर्शनों में, पार्टी ने मांग की है कि इस घटना में लगभग 75 दलित-आदिवासी युवकों को गंभीर धाराओं में जेल भेजने की एकतरफा कार्रवाई का विरोध किया जाए और न्याय सुनिश्चित किया जाए।

वही पार्टी ने उत्तर प्रदेश में “बुलडोजर न्याय” के खिलाफ मार्च भी आयोजित किए हैं, जिसमें गरीबों, दलितों, आदिवासियों और किसानों के विस्थापन को तत्काल रोकने की मांग की गई है। उनका कहना है कि सरकारी और वन भूमि से गरीबों की बेदखली और अल्पसंख्यकों के पूजा स्थलों और शैक्षणिक संस्थानों को ध्वस्त करना बंद किया जाना चाहिए।

जातिगत हिंसा और सामंती वर्चस्व

भाकपा(माले) झारखंड जैसे राज्यों में दलित महिलाओं पर हमलों के खिलाफ भी आवाज उठाती रही है, जैसा कि पलामू जिले के पांकी में दलित महिला लछोइया कुंवर पर हमले के खिलाफ आयोजित मार्च में हुआ। पार्टी का कहना है कि यह महज एक घटना नहीं, बल्कि सामंती वर्चस्व और जातिगत हिंसा का प्रमाण है। वही पार्टी किसानों और गरीबों के माइक्रोफाइनेंस ऋणों की माफी की मांग करती है और कर्ज में डूबे परिवारों के उत्पीड़न पर रोक लगाने की वकालत करती है।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला: भाकपा(माले) नागरिक स्वतंत्रता के दमन, जैसे सोशल मीडिया पर सरकार से सवाल पूछने पर एफआईआर दर्ज करने, के खिलाफ भी विरोध प्रदर्शन करती रही है।भाकपा(माले) इन मुद्दों पर विभिन्न राज्यों, खासकर उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार में संभागीय मुख्यालयों और जिला मुख्यालयों पर लगातार विरोध प्रदर्शन करती रही है। पार्टी का मानना है कि दलितों के खिलाफ उत्पीड़न और भेदभाव अभी भी समाज में एक गंभीर समस्या है, जिसके खिलाफ निर्णायक लड़ाई जारी रखनी होगी।

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