दलित दूल्हे की बारात पर दबंगों का हमला, दूधलाई में मची बर्बरता

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Madhya Pradesh news: हाल ही में मध्य प्रदेश के देवास जिले की सोनकच्छ तहसील के दुधलाई गांव में बीती रात एक बार फिर मानवता शर्मसार हुई, जब गुंडों ने एक नवविवाहित दूल्हे की बारात पर सिर्फ इसलिए जानलेवा हमला कर दिया क्योंकि वह दलित था। तो चलिए इस लेख में आपको पूरा मामला बताते हैं।

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जानें क्या है पूरा मामला? 

हाल ही में मध्य प्रदेश के दुधलाई से मानवता को शर्मसार करने वाली एक खबर सामने आई है, जहां एक दलित दूल्हे की बारात पर कथित तौर पर दबंग जातियों द्वारा हिंसक हमला किया गया। दरअसल, 30 मार्च 2025 को एक दलित युवक, जिसकी शादी होने वाली थी, भगवान के दर्शन करने राम मंदिर गया था। वह खुद को हिंदू मानता है, पूजा करना उसका अधिकार है, लेकिन गांव के तथाकथित ऊंची जाति के दबंगों को यह मंजूर नहीं था। उनकी नजर में दलित का मंदिर में प्रवेश करना बहुत बड़ा पाप था।

दबंगों ने दलित दूल्हे को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया, जिसके बाद पीड़ित परिवार ने स्थानीय पुलिस के पास जाकर पूरी घटना की शिकायत दर्ज कराई, लेकिन इस मामले पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। दबंगों का साहस बढ़ता गया और बीती रात दूधलाई गांव में अभिषेक पुत्र अशोक आशापूरे, निवासी सांवेर की बारात पर हमला कर दिया गया।

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प्रशासन की खामोशी और विफलता

इस निंदनीय हमले से पहले भी गांव में दलितों के खिलाफ कई घटनाएं हो चुकी हैं, जिसके मद्देनजर प्रशासन की खामोशी और विफलता चिंताजनक है। हनुमान जयंती के जुलूस में शामिल होने पर दलितों को परेशान किया गया और मंदिर में प्रवेश करने से रोका गया, लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी रही। दूल्हे के परिवार ने हमले की आशंका जताते हुए सोनकच्छ थाने में पुलिस सुरक्षा के लिए आवेदन दिया था, लेकिन न तो पुलिस मौके पर पहुंची और न ही कोई सुरक्षा मुहैया कराई गई। लेकिन सवाल अब यह  है कि क्या पुलिस ने जानबूझकर निष्क्रियता दिखाई? क्या प्रशासन दबंग तत्वों के सामने पूरी तरह विफल हो गया है?

आपको बता दें, इस हमले के बाद गांव में हालात और खराब हो गए हैं। दबंगों ने जेसीबी की मदद से सड़क तोड़ दी, ताकि कोई भी दलित व्यक्ति मुख्य सड़क से गांव में प्रवेश न कर सके। अब दलित ग्रामीणों का गांव में आना जान जोखिम में डालने जैसा हो गया है। यह सिर्फ शारीरिक हमला नहीं है, बल्कि स्पष्ट सामाजिक बहिष्कार भी है – यह संविधान की अवहेलना करने जैसा है।

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