हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से एक चौकाने वाला मामला सामने आया है। जहाँ एक दलित परिवार को एससी/एसटी अदालत द्वारा 2 साल बाद न्याय मिल पाया है। यह मामला हत्या से जुड़ा हुआ थादबंगों ने पुरानी रंजिश के कारण एक दलित व्यक्ति की हत्या और तीन बच्चो को घयाल कर दिया था। तो चलिए आपको इस लेख में आपको पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं।
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2 साल बाद दलित परिवार को मिला न्याय
भारत जैसे लोकतांत्रिक और समानता आधारित राष्ट्र में आज भी जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। संविधान ने सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर देने की गारंटी दी है, फिर भी दलित समुदाय लंबे समय से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक उत्पीड़न का शिकार रहा है। गांवों से लेकर शहरों तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक और सामाजिक जीवन से लेकर राजनीतिक प्रतिनिधित्व तक, दलितों को हर बार, बार-बार भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ता है।
जमीनी स्थिति आज भी बदतर है. ऐसा ही एक मामला यूपी (UP) के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) से सामने आया है, जहां एक दलित परिवार को आखिरकार 2 सालों के बाद न्याय मिला है. पुरानी रंजिश के कारण एक दलित व्यक्ति की हत्या करने और उनके तीन बच्चों को घायल करने वाले तीनों आरोपियों राजेंद्र जाट, उनके बेटे मोहित जाट और वीरेंद्र को विशेष एससी/एसटी अदालत (SC-ST court) ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
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तीनों आरोपियों पर 35 -35 हजार रुपये का जुर्माना
इसी के साथ विशेष न्यायाधीश श्रीमती आशारानी सिंह (Justice Smt. Asharani Singh) ने तीनों आरोपियों पर 35 -35 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। दरअसल, 14 फरवरी, 2023 को मुजफ्फरनगर के जानसठ थाना क्षेत्र क(Jansath Police Station Area) के राजपुर कला गांव (Rajpur Kalan Village) में संजीव बाल्मीकि के घर में तीनो आरोपी जबरन घुस गए थे, और संजीव वाल्मीकी को जातिसूचक गालियां देते हुए उन्हें और उनके बच्चों के साथ मारपीट की थी और गोलियां भी चलाई थी।
जिसके कारण घायल संजीव वाल्मीकी की मौके पर ही मौत हो गई और उनके तीनों बच्चे बुरी तरह से घायल हो गए थे। जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। अदालत ने इस मामले में अब फैसला सुनाते हुए आरोपियों को दोषी करार दिया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
वही मीडिया से मिली जानकारी के मुताबिक डीजीसी राजीव शर्मा ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि अभियोजन पक्ष की ओर से शासकीय अधिवक्ता परविंदर कुमार सिंह और विशेष अधिवक्ता नरेंद्र शर्मा ने जोरदार पैरवी की। आपको बता दें, अदालत के इस फैसले को सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ एक कड़ा संदेश माना जा रहा है। ज आगे भी इसी तरह के न्याय करता रहेगा इसके एक चीज तो साफ़ हो चुकी है भले क़ानूनी करवाई में देर हो सकती है लेकिन न्याय जरुर मिलेगा।