Jalaun News: हाल ही में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के जालौन ज़िले (Jalaun District) से एक चौंकाने वाली और परेशान करने वाली खबर सामने आई है, जहाँ 62 दलित परिवारों (Dalit families) को एक हफ़्ते के अंदर अपने घर खाली करने का आदेश दिया गया है, जहाँ वे पिछले 95 सालों से रह रहे हैं. इस आदेश के बाद ग्रामीणों में दहशत है और वे अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते है.
Also Read: दलित और अति-पिछड़ों के सम्मान में राजद का कार्यक्रम, प्रदेश अध्यक्ष होंगे मुख्य अतिथि
दलित परिवारों को घर खाली करने का नोटिस
भारत में आज हालात ऐसे हैं कि अगर कोई दलित है तो उसकी मेहनत, काबिलियत और सम्मान नहीं बल्कि सबसे पहले उसकी जाति देखी जाती है. जातिवादी सोच में जकड़े मनुवादी मान बैठे हैं कि दलित बस किसी तरह दलितों से उनके हक़ की चीजे छीन ली जाए या फिर उन पर अत्याचार करके उनसे उनकी जमीन भी छीन ले. ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के जालौन से सामने आया है. जहां एक साथ 62 दलित परिवारो को एक सप्ताह के अंदर घर खाली करने का आदेश जारी किया है.
मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार ये नोटिस जालौन तहसील क्षेत्र (Jalaun Tehsil area) के गोकुलपुरा गांव (Gokulpura Village) में जारी किया गया है, जिसमें करीब 100 प्रतिशत दलित समुदाय (Dalit Community) के लोग रहते हैं. इस गांव को करीब 95 साल पहले सेठ गोकुलदास महेश्वरी ने दलितों के लिए ही बसाया था लेकिन अब अचानक इस गांव में रहने वाले 62 परिवारों को घर खाली करने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया गया है.
इतना ही नहीं ग्रामीणों को ये भी कहा गया है कि अगर वो घर खाली नहीं करेंगे तो उन पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी. दलित परिवार डरा-सहमा हुआ है…उन्होंने उपजिलाधिकारी विनय कुमार मौर्य को अपनी अर्जी सौंपी है. ग्रामीणों का कहना है कि बिना किसी दूसरी व्यवस्था के उन्हें अपने घरो से बेदखल करना उनके साथ अन्याय है.
उपजिलाधिकारी ने दिया आश्वासन
हालांकि, ग्रामीणों की हालात को देखते हुए उपजिलाधिकारी ने आश्वासन दिया है कि वो इस मामले की पूरी जांच करायेंगे, वो किसी के साथ अन्याय नहीं होने देंगे. बावजूद इसके ग्रामीणों में डर का माहौल है. उन्हें अपने सालों पुराने आशियाने के टूट जाने का डर है. ऐसे में देखना ये होगा कि जांच के बाद क्या परिणाम आते हैं.