Patna Bihar news: हाल ही में पटना नगर निगम (PMC) पर सीवेज और मैनहोल की सफाई के लिए मानकीकृत प्रोटोटाइप स्कैवेंजिंग का सहारा लेने का आरोप लगाया गया है, जिसके बाद राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (NCSK) ने मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। 23 वर्षीय आईआईटी इंजीनियरिंग छात्र की ऑनलाइन शिकायत के आधार पर आयोग ने पटना के जिला मजिस्ट्रेट डॉ. चंद्रशेखर सिंह को 15 दिन की विस्तृत कार्रवाई (ATR) दी है।
जाने क्या है पूरा मामला
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि अनुसूचित जाति समुदाय के व्यक्तियों को बिना किसी सुरक्षा उपकरण या मशीनीकृत सहायता के मानव मल और सीवेज साफ करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यह प्रथा “हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013” का घोर उल्लंघन है, जो भारत में मैनुअल स्कैवेंजिंग पर प्रतिबंध लगाता है। यह प्रथा न केवल अमानवीय है, बल्कि इसमें शामिल लोगों के जीवन के लिए भी गंभीर खतरा है।
अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
2013 के अधिनियम के तहत, हाथ से मैला ढोना एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है। अधिनियम में हाथ से मैला ढोने वालों और उनके परिवार के सदस्यों को दंडित करने का भी प्रस्ताव है। इसके अलावा, सफाई कर्मचारी आंदोलन बनाम भारत संघ मामले में 2014 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, हर मौत के लिए ₹10 लाख का जुर्माना अनिवार्य है। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने इस जुर्माने को बढ़ाकर ₹30 लाख कर दिया है, साथ ही संवैधानिक विकलांगता के लिए ₹20 लाख और अन्य विकलांगताओं के लिए ₹10 लाख तक का जुर्माना लगाया है।
आयोग की कार्रवाई
एनसीएसके ने अपने प्रक्रिया नियमों और 2013 अधिनियम की धारा 31 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए मामले की जांच शुरू की है, जो आयोग को अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी करने और गैर-अनुपालन की शिकायतों की जांच करने का अधिकार देता है। आयोग ने जिला मजिस्ट्रेट से मैनुअल स्कैवेंजर्स रिहैबिलिटेशन रूल्स, 2013 और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) रूल्स, 2016 के तहत पीड़ितों को दिए गए मुआवजे के विवरण सहित एक विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
आपको बता दें, यह घटना बिहार में मैनुअल स्कैवेंजिंग की जारी समस्या को उजागर करती है, जबकि देश भर में ज़्यादातर उत्पादों ने खुद को इस प्राथमिक से मुक्त घोषित कर दिया है। यह एक गंभीर आपराधिक उल्लंघन है और समाज के सबसे बड़े अपराध में शामिल है। इस मामले में सफ़ाई कर्मचारी आयोग के मानकों से उम्मीद है कि पटना नगर निगम सख्त कार्रवाई करेगा और भविष्य में ऐसे दरिंदों को बख्शा जाएगा।