Prayagraj: पुलिस हिरासत में दलित युवक की मौत हाईकोर्ट में याचिका दायर, राज्य सरकार से मांगा जवाब

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Dalit youth dies in police custody: हाल ही में उत्तर प्रदेश (UP) के प्रयागराज (Prayagraj) खौफनाक मामला सामने आया है. जहाँ एक दलित युवक को पुलिसवालो ने पुलिस कस्टडी में इस कदर टॉर्चर किया कि उसने अपना अपना दम तोड़ दिया. जिसके बाद पीड़ित परिवार ने न्याय के लिए कोर्ट में याचिका दायर की और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है और मुआवजे की मांग की है. तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं.

पुलिस कस्टडी में दलित युवक की मौत

कहा जाता है जब कही कोई न्याय नहीं मिले तो पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवानी चाहिए. लेकिन जब रक्षक की भक्षक बन जाये तो इंसान न्याय कि गुहार किसके पास जाकर लगाये ऐसा ही दलित उत्पीड़न का एक मामला उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (Prayagraj) में पुलिस वालों की दरिंदगी का एक नया मामला सामने आया है. पुलिस कस्टडी में एक दलित युवक को पुलिस वालों ने इतना टॉर्चर किया कि उसने अपना दम तोड़ दिया. इस मामले में पीड़ित परिवार ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो ये मामला प्रकाश में आया. इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) में सुनवाई के दौरान दलित युवक को टॉर्चर करने और उसकी मौत को लेकर राज्य सरकार और प्रशासन को घेरा है.

दरअसल यह घटना प्रयागराज के नवाबगंज (Nawabganj) थाने की है जहां पुलिस चोरी के एक मामले में हीरा लाल नाम के एक दलित मजदूर को 27 मई, 2025 को उसके घर से जबरन उठा ले गए थे. पीड़ित परिवार ने हीरालाल से कई बार मिलने की कोशिश भी की थी लेकिन पुलिस वालों ने मिलने नहीं दिया और अगले दिन परिवार को खबर दी गई कि हीरालाल की मौत हो गई है. हैरानी की बात तो ये है कि मौत होने के बाद भी हीरा लाल का शव उसके परिवार को नहीं सौंपा गया, बल्कि पुलिस वालों ने खुद शव को प्रयागराज के दारागंज घाट (Daraganj Ghat) पर जला दिया.

न्याय के लिए खटखटाया कोर्ट का दरवाजा

जिससे पीड़ित परिवार ने न्याय के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी लगाई, उन्होंने कहा कि मारपीट और टॉर्चर के कारण हीरालाल की मौत हुई है, वहीं पुलिस कहना है कि हीरालाल हार्ट अटैक से मरा था. परिवार वालों ने इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की और 25 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग रखी है.

आपको बता दें, इस मामले को लेकर कोर्ट में जस्टिस सिद्धार्थ और जस्टिस संतोष राय की पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को 2 हफ्तों का समय दिया है जवाब दाखिल करने के लिए. अब देखना ये है कि क्या सच्चाई निकल कर आतीं है और पीड़ित परिवार को कब तक न्याय मिलेगा.

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