दलितों के दम पर बिहार की सत्ता का रास्ता? सियासी दलों के वादों की बौछार

Bihar, Bihar land
Source: Google

हाल ही में बिहार (Bihar) के बेनीपुर (Benipur) से एक खबर आई है. जहाँ 62 हज़ार दलित (Dalit) और महादलित भूमिहीन परिवारों को ज़मीन उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही, यह भी कहा जा रहा है कि उन्हें ज़मीन के कागज़ात भी सौंपे जाएँगे. यह खबर बिहार सरकार की “अभियान बसेरा-2” और “डॉ. अंबेडकर समग्र विकास योजना” जैसी पहलों का एक हिस्सा है. तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बता देते हैं.

और पढ़े: Azamgarh: प्रेम-प्रसंग को लेकर लोको पायलट को पीट-पीटकर मारा, इलाके में हड़कंप

दलितों पर सरकार मेहरबान 

बिहार विधानसभा चुनाव की राजनीतिक सरगर्मी जैसे-जैसे बढ़ रही है, दलित वोट बैंक सभी दलों के लिए एक अहम मुद्दा बनता जा रहा है. बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से निर्णायक रहे हैं और 16% से ज़्यादा (विभिन्न स्रोतों के अनुसार, यह आँकड़ा 20% तक बताया गया है) दलित आबादी राज्य के चुनावी नतीजों को प्रभावित करने की क्षमता रखती है. यही वजह है कि सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी महागठबंधन, दोनों ही इस अहम वोट बैंक को लुभाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.

ऐसी ही एक खबर बिहार से सामने आई है, जहां चुनाव से ठीक पहले सरकार दलितों पर मेहरबान नजर आ रही है. जी हां, बिहार के बेनीपुर में अभियान बसेरा और डॉ अंबेडकर विकास योजना के तहत 62 हजार महादलित और दलित भूमिहीन परिवारों को जमीन मुहैया कराया गया है. और आने वाले 15 दिनों में उनका दाखिल खारिज भी करा दिया जायेगा ताकि जमीन पर दलितों का मालिकाना हक हो सके.

और पढ़े: क्या कहती है BNS की धारा 206, जानें इससे जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बातें

दलित परिवार को बासगीत भूमि के पर्चे सौंपे

भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री संजय सराओगी ने खुद योजना के तहत बेनीपुर में 312 दलित परिवार को बासगीत भूमि के पर्चे सौंपे है. उन्होंने ये भी आश्वासन दिया है कि आने वाले समय में जल्द ही सभी जरूरतमंद दलित परिवारों के लिए जमीन मुहैया कराई जायेगी. बताते चलें कि बिहार में आने वाले 2 महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में चुनाव से ठीक पहले दलितों के लिए इतना बड़ा कदम उठाया गया है…विपक्षी पार्टियां इसे चुनावी हथकंडा मान रही है लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि फिलहाल भूमिहीन दलितों के लिए ये बेहद ही राहत देने वाली खबर है.

इन परिवारों को न केवल ज़मीन दी जा रही है, बल्कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाने में भी मदद की जाएगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो सकती है। इस कदम को बिहार चुनाव से ठीक पहले दलित वोट बैंक को लुभाने की एक बड़ी कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. दलित समुदाय लंबे समय से भूमि अधिकार की मांग कर रहा है और ऐसी योजनाओं से उनके बीच सरकार के प्रति सकारात्मक भावना पैदा हो सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *