Baran Dalit News: दलितों को खुश देख नहीं सकते मनुवादी! रास्ते को लेकर हुए विवाद के बाद पुलिस के पहरे में निकली 2 दलित दूल्हों की बारात

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Baran news: हाल ही में राजस्थान के बारां जिले से चौकाने वाली खबर सामने आई है जहाँ दो दलित दूल्हों की बारात पुलिस के कड़े पहरे में निकाली गई। यह कदम इसलिए उठाना पड़ा क्योंकि बारात के रास्ते को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते है।

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पुलिस के कड़े पहरे में निकाली गई बारात

दलित समुदाय के खिलाफ अत्याचार और विवाद की घटनाएं अक्सर सुनने को मिलती रहती हैं। हाल ही में राजस्थान के बारां जिले में एक नया मामला सामने आया है, जहां एक शादी की बारात को लेकर विवाद हो गया। यह घटना नाहरगढ़ थाना क्षेत्र के दलदल गांव में हुई। जानकारी के अनुसार गांव के दलित समुदाय के दो युवकों की शादी थी और कुछ लोगों ने पारंपरिक तरीके से बारात निकालने पर आपत्ति जताई, जिससे तनाव की स्थिति बन गई।

विवाद बढ़ने पर पुलिस को हस्तक्षेप किया और किसी भी असहज स्थिति से बचने और शांति बनाए रखने के लिए पुलिस ने दोनों दूल्हों की बारातों को सुरक्षा मुहैया कराई। वही भारी संख्या में पुलिस बल की मौजूदगी में बारातें अपने गंतव्य तक पहुंचीं, जिसके बाद शादी की रस्में पूरी हुईं। आपको बता दें, परिवादी चौथमल बैरवा ने बताया कि उसकी दो बेटियों की 8 जून को शादी है। एक बारात उमरहेड़ी (कोटा) से तथा दूसरी बारात अन्ता के हापाहेड़ी से गांव में आएगी। परिवाद में बताया गया कि गांव के कुछ प्रभावशाली व असामाजिक लोग घोड़ी आने का विरोध कर सकते हैं। इस मामले को लेकर शनिवार को पुलिस व प्रशासन के अधिकारी भी गांव पहुंचे थे तथा समझाइश की थी।

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गाँव में पुलिस बल तैनात

इस घटना के बाद गांव में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है, जिसके चलते पुलिस बल तैनात कर दिया गया है, ताकि कोई हिंसक घटना न हो सके। रविवार को पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में जुलूस भी निकाला गया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से लिया जहाँ बारां एसडीएम बनवारी लाल बैरवा, तहसीलदार दशरथ सिंह, पुलिस उपाधीक्षक अन्ता श्योजी लाल मीणा, शाहाबाद उपाधीक्षक रिछपाल मीणा समेत पुलिस जाब्ता मौजूद रहा। यह घटना सामाजिक एकता और समानता के महत्व को उजागर करती है, साथ ही यह भी बताती है कि ऐसे मामलों में प्रशासन का त्वरित हस्तक्षेप कितना जरूरी है।

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