Dalit Youth Assaulted: हाल ही में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के संभल जिले (Sambhal district) से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां एक दलित छात्र को 3-3 साल कैद की सजा सुनाई गई है। यह फैसला संभल की एक अदालत ने सुनाया है। तो चलिए आपको इस लेख में आपको पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताया गया है।
और पढ़े: दलित नाबालिगों को खंभे से बांधकर 60 लोगों ने पीटा, एक ने जहर खाया
दलित युवक के साथ मारपीट
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh)में दलितों पर अत्याचार कोई नई बात नहीं है। ऐसी घटनाएं अक्सर मीडिया में आती रहती हैं। हाल ही में संभल (Sambhal) के गुन्नौर (Gunnaur) थाना क्षेत्र में भी ऐसी ही घटना सामने आई, जहां कुछ ग्रामीणों ने एक दलित युवक की पिटाई कर दी और उसे जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया। नतीजतन, युवक ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई।
दरअसल यह मामला मुगर्रा गांव (Mugarra Village) का है। पीड़ित के पिता राम सिंह ने गुन्नौर (Gunnaur) थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि बेटे के साथ बबराला से घर लौटते समय कुछ लोगों ने लाठी-डंडों से उसकी पिटाई की। आरोपियों ने पीड़ित दलित युवक के साथ गाली-गलौज की और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया। जिसके बाद पुलिस ने घटना का संज्ञान लेते हुए शिकायत दर्ज की और पीड़ित परिवार को आश्वासन दिया कि जल्द ही मामले की जांच कर आरोपियों को गिरफ्तार कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
और पढ़े: कोर्ट के आदेश पर FIR,मारपीट और जातिसूचक गाली देने का आरोप
अदालत का फैसला आरोपियों को 3-3 साल
पुलिस ने मामले में नेत्रपाल पुत्र रामदास और राकेश पुत्र रामप्रकाश के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। दोनों आरोपी मुगर्रा गांव के रहने वाले हैं। मामले में धारा 323, 324, 504 BNS और एससी/एसटी एक्ट (SC-ST ACT) की धारा 3(1)डी,जी के तहत कार्रवाई की गई थी। जिसके बाद इस मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने आरोपियों के खिलाफ मजबूत सबूत पेश किए। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और सबूतों के आधार पर दोनों आरोपियों को दोषी पाया। न्यायाधीश ने उन्हें भारतीय न्याय संहिता (BNS) और अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की सुसंगत धाराओं के तहत 3-3 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही उन पर कुछ जुर्माना भी लगाया है।
आपको बता दें, यह फैसला समाज में जातिगत भेदभाव और दलित उत्पीड़न के खिलाफ एक कड़ा संदेश देता है और यह सुनिश्चित करता है कि ऐसे कृत्यों में शामिल लोगों को दंडित किया जाएगा।