Custodial death of Dalit law student: हाल ही में महाराष्ट्र (Maharashtra) से एक चौंकाने वाली और परेशान करने वाली खबर सामने आई है. जहाँ एक साल पहले पुलिस हिरासत में हुई 35 वर्षीय दलित लॉ स्टूडेंट की मौत पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है. तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं.
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पुलिस कस्टडी में दलित छात्र की मौत
हर दिन दलित उत्पीड़न की कोई न कोई खबर सामने आती रहती है हाल ही में मुंबई के महाराष्ट्र से है जहां एक 35 साल के लॉ की पढ़ाई करने वाले दलित छात्र की पुलिस कस्टडी में मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. बताते चले कि ये मामला 15 दिसंबर, 2024 का है जिसमें महाराष्ट्र के परभणी में न्यायिक हिरासत में दलित युवक सोमनाथ सूर्यवंशी की मौत हो गई थी. सोमनाथ को संविधान का अपमान करने को लेकर हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद पुलिस ने गिरफ्तार किया गया था.
दलित समुदाय का कहना है कि सोमनाथ को पुलिस कस्टडी (Police Custody) में प्रताड़ित किया गया जिससे उसकी मौत हुई. मृतक सोमनाथ की मां ने हाईकोर्ट (High Court) में इस मामले में शामिल लोगों के खिलाफ एफआईआर की मंजूरी देने की अपील की थी. बाबा साहेब अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर (Prakash Ambedkar) भी पीड़ित परिवार के साथ थे. हाईकोर्ट (High Court) ने इस मामले में एफआईआर के आदेश भी दिए लेकिन घटना के करीब 9 महीने बाद भी अभी तक इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई.
हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रख एफआईआर दर्ज
आपको बता दें, थक हार कर मृतक की मां ने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग की सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई और कोर्ट ने पीड़ित महिला का समर्थन करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रख एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं. पीड़ित पक्ष ने इस मामले में संबंधित पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग के साथ-साथ जेजे हॉस्पिटल की भूमिका पर भी सवाल उठाए थे.
कोर्ट ने इस मामले में 4 जुलाई को ही एफआईआर (FIR) दर्ज करने के आदेश दिए गए थे लेकिन ऐसा नहीं किया गया जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस (Maharashtra police) को जमकर लताड़ लगाई है. ऐसे में ये देखने वाली बात होगी कि सोमनाथ सूर्यवंशी की मौत की सच्चाई कब तक दुनिया के सामने आती है.