Students protest in Gorakhpur : हाल ही में यूपी (UP) के गोरखपुर (Gorakhpur) से एक चौकाने वाली खबर सामने आई है. जहाँ छात्र सरकारी अनुसूचित जाति छात्रावासों में अन्य वर्गों के छात्रों के लिए 30% सीटें आरक्षित करने के सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि ये छात्रावास विशेष रूप से गरीब और भूमिहीन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए बनाए गए थे। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे ममाले के बारे में विस्तार से बताते हैं।
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दलित छात्रों ने विरोध प्रदर्शन
कई जगहों पर, दलित छात्रों ने शैक्षणिक संस्थानों में जातिगत भेदभाव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है। इसमें अक्सर “उच्च जाति” के छात्रों या शिक्षकों द्वारा उत्पीड़न और सामाजिक बहिष्कार शामिल होता है। हाल ही में, राजस्थान में पानी का घड़ा छूने पर एक दलित छात्र की हत्या के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे। दलित उत्पीड़न का एक ऐसा ही मामला अब उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से सामने आया है।
जहां राजकीय सरकारी छात्रावास (Government Hostel) में दलित छात्रो को मिलने को 30 प्रतिशत कोटे को खत्म करने को लेकर दलित छात्रों ने विरोध प्रदर्शन (Dalit students protest) शुरु कर दिया है। बताते चले कि दलित छात्रों को मिलने वाला आरक्षण अब से अन्य वर्गों के छात्रों के लिए आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है। दलित छात्रों ने इस फैसले को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए टाउनहॉल चौक से अंबेडकर चौक तक मार्च निकाला है।
गरीब दलित और पिछड़े छात्रों के साथ अन्याय
दलित छात्रों का कहना है कि अगर अन्य वर्ग को आरक्षण दे दिया जायेगा तो गरीब दलित और पिछड़े छात्रों के साथ अन्याय होगा, वो पहले से ही अभाव में जी रहे है, ऐसा करने से वो बुनियादी शिक्षा भी हासिल नहीं कर पायेंगे। इस मामले में दलित छात्रों के प्रदर्शन को समर्थन देने के लिए स्थानीय MLC देवेंद्र प्रताप सिंह उनके साथ सरकार के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल हुए है।
वही मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकरी के अनुसार उन्होंने कहा कि अगर सरकार अपने आदेश को वापिस नहीं लेगी तो ये विरोध प्रदर्शन आगे भी जारी रहेगा, और धीरे धीरे केवल गोरखपुर में ही नहीं बल्कि पूरे देश में इस आंदोलन की आग फैलेगी, जिसके जिम्मेदार केवल यूपी सरकार होगी।
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