न्याय की मांग: दलित मजदूर का शव पेड़ से लटका मिला, हाथ बंधे होने पर भी आत्महत्या मानने पर विरोध

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Dalit Laborer’s Suspicious Death: हाल ही में तमिलनाडु से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां एक दलित मजदूर का शव पेड़ से लटका मिला, जिसके हाथ बंधे हुए थे. वही पुलिस इसे आत्महत्या बता रही है जबकि स्थनीय लोगो और दलित कार्यकर्ताओ और राजनितिक दलों का कहना है ये सुसाइड नहीं है. क्योंकि शव के हाथ बंधे हुए थे. तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं.

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पेड़ से लटका हुआ मिला दलित व्यक्ति का शव

दलितों के साथ मारपीट उनके साथ बबरता की खबरे हर रोज सामने आती है. लेकिन कम होने नाम नहीं ले रही है. देश में इतने कड़े कानून होने के बावजूद भी दलितों का वही हाल है जो पुराने समय में था. जी हाँ हाल ही में तमिलनाडु के तिरुप्पुर ज़िले के सेनक्कल्पालयम गांव की है जहाँ एक 42 वर्षीय दलित युवक घर से किसी काम से निकला लेकिन घर वापस नहीं लौटा.

अगली सुबह जब उस दलित युवक को परिवार वालो ने खोजना शुरू किया तो उनकी तलाश खत्म हुई एक नीम के पेड़ के पास. मुरगन नाम का ये मजदूर एक पेड़ से फांसी के फंदे से लटका मिला. इसके दोनों हाथ रस्सी से पीछे की तरफ बंधे हुए थे और शरीर पर चोट के निशान थे. मौके पर पुलिस पहुंची और जांच के नाम पर खानापूर्ती की प्रशासन ने इस मामले को खुदकुशी करार देकर शव का जल्दबाजी में अंतिम संस्कार भी करा दिया और केस क्लोज कर दिया.

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पुलिस करवाई पर उठे सवाल

तमिलनाडु के तिरुप्पुर ज़िले में हुई इस घटना में पुलिसिया कार्रवाई पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. इस घटना के सामने आने के बाद तमिलनाडु पुलिस, दलित कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों के निशाने पर आ गई है. पुलिस के इस लचर रवैये के कारण वहां लोगो में काफी रोष है. दलित समाज का कहना है कि मुरगन के परिवार पर जानबूझ कर झूठ बोलने का दवाब डाला गया कि मुरगन काफी लंबे समय से बीमार था और बीमारी ठीक न होने के कारण उसने ऐसा कदम उठाया है.

ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या एक शख्स जिसके हाथ पीछे से बंधे है वो भला एक पेड़ से लटक कर आत्महत्या कैसे कर सकता है? मृतक पिछड़ी जाति से था, क्या इसलिए इस मामले को पुलिस ने यूंही निपटा दिया या किसी रसूखदार ने उसे मार दिया और पुलिस से डील कर ली. ऐसे तमाम सवाल अभी भी लोगों के दिलों दिमाग में हैं.

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